नई दिल्ली : खाद्यान्न की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने खुले बाजार में अतिरिक्त गेहूं और चावल की सप्लाई बढ़ाने का फैसला किया है। आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने गेहूं और चावल को खुले बाजार में बेचने की इजाजत दे दी है। हालांकि, कितना गेहूं और चावल खुले बाजार में बेचा जाए, इस पर उसने खाद्य मंत्रालय को फैसला करने के लिए कहा है।
केंद्र ने जमाखोरी पर लगाम लगाने के लिए राज्यों के कृषि भंडार के नियमन के अधिकार की समय सीमा को 6 महीने बढ़ाकर अप्रैल 2009 कर दिया है। इसके तहत राज्यों को निश्चित समयसीमा में व्यापारियों के खाद्य भंडार के नियमन का अधिकार है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद दासमुंशी ने कहा, 'कीमतों पर नियंत्रण और किसानों के हितों के लिए सरकार ने चावल, गेहूं, दाल और खाद्य तेल की भंडारण सीमा लागू किए जाने से संबंधित अधिसूचना की अवधि बढ़ाकर 30 अप्रैल 2009 करने का फैसला किया है।' इस सूची में धान को भी शामिल किया गया है।
अधिकारियों ने बताया कि सरकार त्योहारी सीजन को देखते हुए सार्वजनिक वितरण प्रणाली और रणनीतिक खाद्य भंडार को पूरा करने के बाद 30-40 लाख टन गेहूं और चावल को खुले बाजार में बेचने की इजाजत दे सकती है। आधिकारिक बयान में कहा गया है, 'खुले बाजार में गेहूं और चावल की बिक्री करने से खाद्यान्न की कीमतों पर काबू पाने में मदद मिलेगी।'
इस योजना के तहत केंद्र सरकार राज्य सरकारों और केंद्रशासित सरकारों को अनाजों का आवंटन करेगी। ताकि वह थोक खरीदारों को अनाज का वितरण कर सकें। भारतीय खाद्य निगम बोली के जरिए गेहूं और चावल की बिक्री करेगा। एफसीआई की उच्चस्तरीय समिति राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को खुले बाजार के लिए जारी किए जाने वाले अनाज की कीमत तय करेगी। (ET Hindi)
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