नई दिल्ली : बढ़ती महंगाई के बावजूद चीनी निर्यात पर सरकार द्वारा दी जारी सब्सिडी को अगले महीने के अंत तक हटाया जा सकता है। इसी महीने सब्सिडी की समय सीमा भी समाप्त हो रही है। सरकार के इस कदम से बजाज हिंदुस्तान, डीसीएम श्रीराम और ईआईडी पैरी जैसी कंपनियों सहित सभी चीनी निर्यातकों पर असर पड़ेगा। केंदीय खाद्य और कृषि मंत्री शरद पवार पर निर्यात छूट को जल्द खत्म करने का दबाव है।
सचिवों की समिति इस सप्ताह निर्यात छूट को खत्म करने का फैसला कर सकती है। पिछले कुछ सप्ताह में घरेलू चीनी की कीमतों में हुई भारी वृद्धि के संदर्भ में समिति यह फैसला ले सकती है। हालांकि, चीनी के निर्यात पर पाबंदी लगाने पर विचार नहीं किया गया।
सरकार तटवर्ती राज्यों से चीनी निर्यात पर प्रति टन 1,350 रुपए और मिल वाले राज्यों से निर्यात होने पर 1,450 रुपए की सब्सिडी देती है। उधर, ऑस्ट्रेलिया और थाइलैंड ने डब्ल्यूटीओ के नियमों के मुताबिक, सब्सिडी को चुनौती दी है। हालांकि, पवार पहले ही कह चुके हैं कि चीनी के निर्यात पर मिलने वाली सब्सिडी की समय सीमा को 1 अप्रैल 2009 से घटाकर 31 सितंबर 2008 कर दिया गया है।
वैसे भारत में महंगाई बेलगाम हो गई है और चीनी की कीमतों में लगातार इजाफा हुआ है। सचिवों की समिति ने सब्सिडी को तत्काल से खत्म करने का प्रस्ताव दिया है। एक अधिकारी ने इकनॉमिक टाइम्स को बताया, 'सचिवों की समिति की बैठक में महसूस किया गया कि स्टील सहित कई कमोडिटी की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए मिल रही छूट को खत्म किया गया, जबकि चीनी की कीमतों में तेजी आने के बावजूद इंडस्ट्री निर्यात छूट हासिल कर रहा है। ऐसे में इंडस्ट्री को निर्यात छूट जारी रखना तर्कसंगत नहीं है और इसे जल्द ही खत्म करना चाहिए।' (ET Hindi)
22 अगस्त 2008
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