कुआलालंपुर। मलेशिया ने आसियान के तहत मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) में भारत से पाम तेल आयात पर 37.5 फीसदी अधिकतम डयूटी लगाने की मांग की है। मलेशियाई सरकार के एक अधिकारी ने कहा है कि कर प्रस्तावों के अनुसार क्रूड पाम तेल पर आयात शुल्क 37.5 फीसदी और रिफाइंड पाम तेल पर शुल्क 45 फीसदी तक लगाया जाना चाहिए।आसियान के सदस्य देशों में मलेशिया व इंडोनेशिया प्रमुख पाम तेल उत्पादक देश हैं। भारत और आसियान के बीच पिछले गुरुवार को समझौता हुआ था। समझौते के अनुसार डयूटी में कटौती अगले जनवरी से लागू होगी। समझौते को अंतिम मंजूरी इस साल के अंत में मिलने की संभावना है। डयूटी के मसले पर दोनों पक्षों के बीच बातचीत दिसंबर अंत तक पूरी हो जाने की उम्मीद है। दोनों पक्षों को इस समझौते पर पहुंचने में छह साल का समय लग गया। पाम तेल पर डयूटी दोनों पक्षों के बीच आने वाले प्रमुख मुद्दों में भी एक रहा है।भारत पाम तेल पर आयात शुल्क की उच्च सीमा तय करने की मांग करता रहा है ताकि घरलू तिलहन उत्पादक किसानों को बढ़ते आयात से सुरक्षा दी जा सके। जबकि इंडोनेशिया व मलेशिया डयूटी में कटौती की मांग कर रहे थे। इन दोनों देशों के लिए पाम तेल प्रमुख निर्यात वस्तु है और भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा तेय आयातक देश है। भारत में खाद्य तेल पर डयूटी की दर महत्वपूर्ण मसला है। डयूटी कम होने का सीधा अर्थ है कि भारत में पाम तेल सस्ता पड़ेगा। इससे घरलू तिलहन के भाव कम होंगे। बाजार में तिलहनों के भाव ज्यादा घटने से किसानों को नुकसान होने की संभावना रहती है। सही मूल्य न मिलने के कारण ही भारत में किसानों की तिलहन उपजाने में ज्यादा रुचि नहीं है। देश में तिलहन उत्पादन मांग से कम होने के कारण आयातित तेलों पर निर्भर काफी ज्याद है और इसे घटाने में शुल्क में कटौती बाधा पैदा कर सकती है। हालांकि भारत ने बातचीत के दौरान एकतरफा तौर पर डयूटी में भारी कटौती कर दी थी ताकि घरलू बाजार में खाद्य तेलों के मूल्य में हो रही तेजी को रोका जा सके। उसने डयटी क्रूड पाम तेल पर 80 फीसदी से घटाकर शून्य कर दी जबकि रिफाइंड पाम तेल पर 90 फीसदी से घटाकर 7.5 फीसदी कर दी। (Business Bhaskar)
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