नई दिल्ली : डॉलर में मजबूती, एशियाई और यूरोपीय देशों की अर्थव्यवस्थाओं में मंदी के संकेत और अमेरिका में तेल की मांग में कमी के मद्देनजर शार्ट-टर्म में कच्चा तेल 100 डॉलर प्रति बैरल तक नीचे जा सकता है।
रूस के इस घोषणा के साथ ही कि जॉर्जिया से उसके सैनिकों के वापसी की प्रक्रिया पूरी हो गई है, कच्चे तेल की कीमतों में और कमी आने की संभावना को बल मिला है।
तेल मामलों के एक्सपर्ट नरेंद्र तनेजा के अनुसार शार्ट -टर्म में कच्चा तेल 80 डॉलर के आस -पास जबकि लांग -टर्म में 130 से 140 डॉलर प्रति बैरल के रेंज में रह सकता है।
इससे पहले न्यूयॉर्क मर्केंटाइल एक्सचेंज (नाइमेक्स) में हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन कच्चे तेल का अक्टूबर वायदा लगातार तीन कारोबारी सत्र की तेजी के बाद 6.59 डॉलर यानी 5.4 पर्सेंट गिरकर 114.59 डॉलर प्रति बैरल बंद हुआ। गुरुवार को कच्चे तेल का अक्टूबर वायदा 4.9 पर्सेंट की मजबूती से 121 डॉलर प्रति बैरल बंद हुआ था।
मार्केट एक्सपर्ट्स के अनुसार डॉलर में मजबूती और मांग में कमी को देखते हुए कच्चे तेल की कीमतों में और नरमी की संभावना बरकरार है। एक्सपर्ट्स शार्ट टर्म में कच्चा तेल के लिए 100 डॉलर प्रति बैरल के लेवल को वाजिब मानकर चल रहे हैं।
निवेशकों को आने वाले हफ्ते यों तो अमेरिका से जारी होने वाले विभिन्न आंकड़ों का इंतजार होगा लेकिन सबसे ज्यादा उनकी निगाहें अमेरिकी ऊर्जा मंत्रालय के तेल, गैसोलिन और डीजल के सप्लाई आंकड़ों पर होगी।
15 अगस्त को समाप्त हुए हफ्ते के दौरान गैसोलिन के स्टॉक में आई कमी के चलते कच्चे तेल की कीमतों में तेजी आई थी। क्रूड के स्टॉक में हालांकि इस हफ्ते के दौरान बढोतरी देखी गई थी।
साथ ही तेल निर्यातक देशों के संगठन ओपेक की 9 सितंबर को होने वाली बैठक का भी निवेशकों को बेसब्री से इंतजार है। वेनेजुएला ने हाल ही में कहा था कि तेल की कीमतों में अगर गिरावट जारी रही तो उनका देश ओपेक की बैठक में तेल की आपूर्ति में कटौती करने की सिफारिश करेगा। (ET Hindi)
25 अगस्त 2008
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