नई दिल्ली August 25, 2008 ! केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार की अध्यक्षता में गठित मंत्रियों के एक समूह ने जैव ईंधन नीति (बायोफ्यूल पॉलिसी) के मसौदे को अपनी मंजूरी दे दी है।
इस मसौदे में पेट्रोलियम और जैव ईंधन मिश्रण संबंधी प्रावधान के अलावा जट्रोफा और करंजा के बीजों के लिए पूरे देश में एकसमान कर प्रणाली लागू करने का प्रस्ताव शामिल है।
अक्षय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा तैयार इस प्रस्ताव को मंत्रिसमूह की मंजूरी मिलने के बाद इसे जल्द ही केंद्रीय मंत्रिमंडल के समक्ष पेश किया जाएगा।
सूत्रों के मुताबिक, इस नीति को जैव र्इंधन उत्पादकों और निवेशकों की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। जबकि इस नीति का मुख्य मकसद जैव ईंधन उद्योग को प्रोत्साहित करना है। इस नीति को तैयार करते वक्त इस बात का खासा ख्याल रखा गया है कि जीवाश्म ईंधन पर देश की निर्भरता में कमी आए।
उल्लेखनीय है कि देश के कुल ईंधन खपत में 70 फीसदी हिस्सा आयातित तेल का होता है। ऐसे में इस नीति की कोशिश होगी कि आयातित ईंधन पर देश की निर्भरता जहां तक हो सके कम की जाए। उम्मीद की जा रही है कि इस प्रस्ताव में पेट्रोलियम ईंधन के साथ 20 फीसदी तक जैव ईंधन को मिलाने की इजाजत दी जाएगी।
जट्रोफा की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए एक मिशन चलाने के अलावा राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शनी आयोजित करने का प्रस्ताव भी इस मसौदे में हो सकता है, ऐसा अनुमान है।
इस नीति के जरिए पूरे देश में जट्रोफा और करंजा के बीजों पर लगने वाले कर को एकसमान बनाने की उम्मीद है। इस नीति में जैव ईंधन बीजों का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने के लिए राष्ट्रीय जैव ईंधन विकास बोर्ड (एनबीडीबी) के गठन का प्रस्ताव किए जाने की उम्मीद है।
अक्षय ऊर्जा मंत्रालय में राज्यमंत्री विलास मुत्तेमवार ने बताया कि इस नीति के मसौदे पर मंत्रियों के समूह ने अपनी मुहर लगा दी है। बकौल मुत्तेमवार, उन्हें उम्मीद है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल जल्द ही इस प्रस्ताव को मान लेगा। उन्होंने बताया कि मूल मसौदे में कई संशोधन किए गए हैं।
हालांकि उन्होंने संशोधन से संबंधित कोई विस्तृत जानकारी देने से साफ मना कर दिया। गौरतलब है कि मंत्रियों के इस समूह में विलास मुत्तेमवार के अलावा ग्रामीण विकास मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह, पेट्रोलियम मंत्री मुरली देवड़ा, योजना आयोग के
सदस्यों सहित कई अन्य कैबिनेट मंत्री शामिल हैं।
जैव ईंधन उद्योग की लंबे समय से मांग रही है कि देश में इसके उपयोग को बढ़ावा देने के लिए पेट्रोल के साथ कम से कम 5 फीसदी तक जैव ईंधन मिलाने की अनुमति दी जाए।
वैसे इस साल अक्टूबर से पेट्रोल में 10 फीसदी तक इथेनॉल मिलाने के प्रस्ताव को सरकार ने मंजूरी दे दी है। जैव ईंधन की खेती का खासा विरोध भी हो रहा है। वह इसलिए कि आशंका है कि जैव ईंधन की खेती से खाद्य उत्पादों के रकबे में कमी हो जाएगी।
मुत्तेमवार ने साफ किया है कि जैव ईंधन की खेती को प्रोत्साहित करने से खाद्य सुरक्षा को कोई खतरा नहीं है। क्योंकि सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि इनकी खेती बंजर जमीन पर ही हो। (BS Hindi)
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