बढ़ती महंगाई ने परेशान सरकार अनाज, दाल वगैरह खाद्यान्नों की सुलभता सुनिश्चित करने के लिए स्टॉक सीमा की अवधि बढ़ाने का फैसला किया है। केंद्र सरकार ने खाद्यान्नों पर स्टॉक सीमा लगाने के राज्यों के अधिकार को अगले साल अप्रैल तक के लिए बढ़ा दिया है। आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत राज्यों को दिया गया अधिकार 30 अगस्त को समाप्त हो रहा था। गुरुवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला लिया गया। बैठक के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रियरंजन दासमुंशी ने संवाददाताओं को फैसलों की जानकारी दी।
इस फैसले के तहत गेहूं और दालों की स्टॉक सीमा अगले आठ महीनों के लिए बढ़ गई है। साथ ही धान को भी स्टॉक सीमा के प्रावधान के तहत शामिल कर लिया गया है। अनाजों पर स्टॉक सीमा लगाने के लिए किया गया मौजूदा प्रावधान 31 अगस्त तक के लिए लागू था। सरकार ने यह प्रावधान आठ माह के लिए बढ़ा दिया।
आज जारी आंकड़े के अनुसार नौ अगस्त को खत्म हुए सप्ताह में महंगाई दर उससे पिछले सप्ताह के 12.44 फीसदी के मुकाबले बढ़कर 12.63 फीसदी हो गई है। बढ़ती मुद्रस्फीति को देखते हुए सरकार किसी भी तरह कीमतों नियंत्रण रखना चाहती है। अनाजों की जमाखोरी रोकने के लिये केंद्र सरकार ने फरवरी 2008 में नोटिफिकेशन जारी कर राज्य सरकारों को यह अधिकार दिया था कि वे गेहूं और दालों पर स्टॉक सीमा तय कर सकते हैं। इसी तरह का नोटिफिकेशन सात अप्रैल को जारी कर चावल, खाद्य तेल और तिलहनों पर स्टॉक सीमा तय करने के लिये जारी किया गया था। जिसका अनुसरण करते हुए कई राज्यों ने स्टॉक सीमा लगा दी थी। इस समय दिल्ली, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा और तमिलनाडु में स्टॉक सीमा लगा रखी है। किंतु यह स्टॉक सीमा आयातित खाद्य पदाथरें पर लागू नहीं होती है।
सूत्रों के अनुसार जल्द ही दिल्ली में स्टॉक सीमा बढ़ने वाली है। व्यापारियों की मांग को देखते सरकार जल्द ही अनाजों और खाद्य तेलों पर लगी स्टॉक सीमा बढ़ाने वाली है। दिल्ली की खपत को देखते हुए माना जा रहा था कि यदि स्टॉक सीमा नहीं बढ़ाई गई तो आगे अनाजों की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है। इस समय दिल्ली में थोक व्यापारियों के लिये स्टॉक सीमा थोक व्यापारी के लिए चावल पर 1000 क्विंटल, दालों पर 2000 क्विंटल तथा गेहूं पर 1000 क्विंटल है। महाराष्ट्र में थोक व्यापारियों के लिये शहरों में यह सीमा चावल पर 5000 क्विंटल, ग्रामीण क्षेत्रों में 3000 क्विंटल है। साथ ही रिटेलरों के लिये शहरों में 200 क्विंटल तथा ग्रामीण क्षेत्रों में 100 क्विंटल है। (Business Bhasker)
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