नई दिल्ली August 20, 2008 ! कच्चे पाम ऑयल की कीमत में ऐतिहासिक गिरावट ने यहां के तेल कारोबारियों को डिफॉल्टर (बकाएदार) बना दिया है।
अधिकतर आयातक एवं कारोबारियों ने मलयेशिया को ऑर्डर किए गए पाम ऑयल की डिलिवरी लेने से मना कर दिया है। जुलाई महीने में ऑर्डर किए गए क्रूड पाम ऑयल (सीपीओ) की डिलिवरी के भुगतान के लिए आयातक लेटर ऑफ क्रेडिट भी नहीं दे रहे हैं।
बाजार सूत्रों के मुताबिक मलयेशिया ने इन आयातकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की धमकी भी दी है। सीपीओ के एक आयातक ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया, 'डिफॉल्टर होने का मसला सिर्फ आयातक स्तर पर ही नहीं है बल्कि इसमें पूरी चेन शामिल हैं। इस चेन में कमीशन एजेंट व थोक कारोबारी भी हैं।
अगर चेन की कोई एक कड़ी भी अपने ऑर्डर लेने से मना करती है तो पूरी चेन डिफॉल्टर हो जाती है।' खाद्य तेल के कारोबारियों के मुताबिक ऑर्डर के समय सीपीओ की कीमत 53 रुपये प्रति किलोग्राम थी, जो अब घटकर 35 रुपये प्रति किलोग्राम हो गयी। ऐसे में ऑर्डर की डिलिवरी लेने पर लाखों रुपये का नुकसान है।
क्योंकि ऑर्डर के दौरान जो कीमत थी, उस पर अब वे बाजार में सीपीओ की बिक्री नहीं कर सकते हैं। कुछ कारोबारियों का कहना है कि ऑर्डर के बाद डिलिवरी नहीं लेने से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की साख गिर सकती है और कई आयातकों को मुकदमे भी झेलने पड़ सकते हैं। इस मसले पर आयातक कहते हैं, 'सिर्फ भारत के कारोबारी ही ऐसा नहीं कर रहे हैं। पाकिस्तान व चीन के आयातक भी डिफॉल्टर हो रहे हैं।
सीपीओ का आयात भी मुख्य रूप से इन्हीं तीन देशों में किया जाता है। ऐसे में भविष्य में भी मलयेशिया सीपीओ देने से इनकार नहीं कर सकता है।' बाजार सूत्रों के मुताबिक अगस्त माह में सीपीओ के आयात में भारी गिरावट का असर सितंबर महीने में अवश्य दिखेगा। तब बाजार में मांग के मुकाबले सीपीओ की कमी हो जाएगी।
मांग अधिक होने पर कीमत में बढ़ोतरी होगी और तभी फिर से सीपीओ का आयात शुरू होगा। उधर, मलयेशिया में सीपीओ का स्टॉक 18 लाख टन से अधिक बताया जा रहा है। लिहाजा भविष्य में भी इसकी अंतरराष्ट्रीय कीमत में कमी के आसार नहीं हैं।
खाद्य तेल के पुराने कारोबारियों का कहना है कि बीते तीस-चालीस साल के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है जब एक महीने के दौरान 18-20 रुपये प्रति किलोग्राम की गिरावट दर्ज की गयी है। प्रति माह अमूमन 4.5-5 लाख टन पाम ऑयल का आयात होता है। ...BS Hindi
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