नई दिल्ली। कारोबारियों ने वायदा बाजार आयोग से डिलीवरी डिफाल्टरों पर नकेल लगाने की मांग की है। कारोबारियों का कहना है कि डिफाल्टरों की मनमानी रोकने के लिए आयोग को ऐसे लोगों पर ज्यादा जुर्माना लगाना चाहिए। मौजूदा समय में वायदा बाजार आयोग ऐसे डिफाल्टरों से 2.5 फीसदी का जुर्माना वसूलता है। कारोबारियों का मानना है कि यह राशि बेहद कम होने की वजह से आमतौर पर डिफाल्टर इसे गंभीरता से नहीं लेते है बार-बार वचनबद्धता से मुकर जाते हैं। जिसका खमियाजा स्टॉक लेने वाले कारोबारी को उठाना पड़ता है। इस क्रम में ऊंझा एपीएमसी मंडी के अध्यक्ष एल. पटेल ने वायदा बाजार आयोग को ऐसे लोगों से सख्ती से निपटने की मांग किया है। पटेल के मुताबिक वायदा कटने के बाद हाजिर में कमोडिटी की पूरी डिलीवरी नहीं होने पर डिफाल्टरों से आयोग को कम से कम 25 फीसदी जुर्माना वसूलना चाहिए। उन्होंने बताया कि 2.5 फीसदी राशि जूर्माना बेहद कम है और डिफाल्टरा कारोबारी इसे आसानी से चुकाकर अपनी मनमानी कर लेते हैं। जबकि डिलीवरी लेने वाले को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। उल्लेखनीय है कि वायदा बाजार आयोग ने पिछले साल अक्टूबर में डिलीवरी डिफाल्टरों पर लगने वाला जुर्माना आठ फीसदी से घटाकर 2.5 फीसदी कर दिया था। जिसमें से 0.5 फीसदी प्रभावित पार्टी को जाता है और दो फीसदी एक्सचेंज के इन्वेस्टर प्रोटेक्शन फंड में चला जाता है। एनसीडीईएक्स में करीब 12 हजार टन जीर में रोजाना कारोबार होता है। इस समय एक्सचेंज में जीर के कारोबार में करीब 50 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। इस साल जून के दौरान एनसीडीईएक्स में करीब चार लाख टन जीर का कारोबार हुआ। जबकि पिछले साल इस अवधि के दौरान करीब आठ लाख टन का कारोबार हुआ था। डिलीवरी डिफाल्टरों पर मौजूदा समय में लगने वाला जुर्माना कम होने की वजह से सबसे ज्यादा नुकसान निर्यातकों को हो रहा है। ऐसे में एक्सचेंज में हैंजिंग करने वाले निर्यातकों की संख्या घटती जा रही है। (Business Bhaskar)
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