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20 अगस्त 2008

खरीफ फसलों पर मानसून की लेटलतीफी की छाया

मुंबई : खरीफ फसलों की बुआई पर मानसून की काली छाया पड़ गई है। हालांकि, मानसून के बाद में सक्रिय होने से बुआई की हालत सुधरने की तो उम्मीद है, लेकिन इसमें देरी की वजह से पैदावार पर असर पड़ने की आशंका है।

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकनॉमी (सीएमआईई) ने यह दावा किया है। सीएमआईई ने अपनी मासिक समीक्षा में कहा है, 'पिछले साल के 5.8 फीसदी के अनुमान के मुकाबले वित्त वर्ष 2009 में 2.5 फीसदी अधिक पैदावार होने की उम्मीद है।' अगस्त के पहले सप्ताह तक खरीफ सीजन में 761 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई थी। यह 2007 की समान अवधि के 803 लाख हेक्टेयर की तुलना में 5 फीसदी कम है।

सीएमआईई ने कहा, 'अभी स्थिति उतनी गंभीर नहीं है। जुलाई के आखिरी सप्ताह में दक्षिणी प्रायद्वीप में मानसून की वापसी के बाद अगस्त के बाकी सप्ताह में बुआई बढ़ने की उम्मीद है।' उत्तरी राज्यों में बुआई तेजी से हो रही है। बारिश होने से इन इलाकों में अगस्त के पहले सप्ताह तक चावल और सोयाबीन का बुआई क्षेत्र बढ़ा है। हालांकि, कपास, दाल और चावल के अलावा अन्य खाद्यान्नों की बुआई में धीमी प्रगति हो रही है। जिन इलाकों में इनकी बुआई होती है, वहां जून और जुलाई के महीने में अच्छी बारिश नहीं हुई है।

जुलाई के तीसरे सप्ताह तक आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र और गुजरात में बारिश कम हुई है। सीएमआईई का मानना है कि इन इलाकों में अगस्त महीने में बुआई अच्छी होगी। 8 अगस्त तक चावल की बुआई 251 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में हुई थी, यह पिछले साल से 7 फीसदी ज्यादा है। वहीं जुलाई 2008 तक ज्वार, बाजरा और मक्के की कम बुआई हुई है। पिछले साल की तुलना में ज्वार 14 फीसदी तो बाजरा 18 फीसदी कम क्षेत्र में बोया गया है।....ET Hindi

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