मुंबई : जाड़े के मौसम में काली मिर्च की कमी हो सकती है। इस मौसम में काली मिर्च की सबसे ज्यादा मांग होती है, लेकिन स्टॉक के अब तक के न्यूनतम स्तर पर चले जाने से इसकी कमी बड़ा मुद्दा बन सकती है।
व्यापारियों के मुताबिक, ऊंची कीमत के बावजूद किसान बाजार में काली मिर्च लेकर नहीं आ रहे हैं। जाड़े के मौसम में हर महीने 3,000-4,000 टन काली मिर्च की घरेलू मांग रहने की संभावना है। मांग की तुलना में भंडार करीब 20,000 टन का ही है। कोच्चि के काली मिर्च व्यापारी जोजान मलाइल के मुताबिक, 'अभी जो स्टॉक है वह भी बाजार में कम ही आ रहा है। किसान और डीलरों ने कीमतों में और उछाल की आस में अपने स्टॉक रोक रखे हैं।'
मलाइल काली मिर्च का निर्यात भी करते हैं। उन्होंने बताया कि बाजार में अभी काली मिर्च का खरीद भाव 140 रुपए प्रति किलो है। आने वाले समय में मांग बढ़ने और सप्लाई कम रहने से इसका भाव 160 रुपए प्रति किलो जा सकता है।
पिछले 7-8 साल से काली मिर्च को विदेशों में अच्छी कीमत मिल रही है। घरेलू बाजार की तुलना में विदेशों में भाव ज्यादा रहने से इस दौरान निर्यात में बढ़ोतरी हुई है। पिछले 18 महीनों में ही भारत ने 50,000 टन काली मिर्च का निर्यात किया है। मलाइल कहते हैं, 'हमारे पास हमेशा ही एक सीजन लायक स्टॉक होता है, लेकिन इस साल निर्यात अच्छी रहने से घरेलू मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त स्टॉक नहीं बचा है।'
कमोडिटी एक्सचेंज पर भी इसके भंडार में कमी आई है। पिछले साल की तुलना में अभी इसका स्टॉक 7,500 टन कम है। एक्सचेंज पर वायदा वॉल्यूम भी कम है और वायदा कॉन्ट्रैक्ट का भाव हाजिर बाजार भाव से कम है। E T Hindi
21 अगस्त 2008
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