मुंबई : धातु और कच्चे तेल में तेज उछाल के बाद अब कपास, चीनी और कॉफी जैसी दूसरी कमोडिटी में उछाल आने की बारी है। अभी तक इन कमोडिटीज में निवेशकों की रुचि कम थी, लेकिन अब वे इसकी ओर आकर्षित हो रहे हैं।
भारतीय कमोडिटी ब्रोकर अपने निवेशकों को इन कमोडिटी में निवेश करने की सलाह दे रहे हैं। ब्रोकर के मुताबिक कपास, चीनी और कॉफी जैसी कमोडिटीज का बुनियादी आधार काफी मजबूत है। इससे आने वाले समय में इनसे अच्छा रिटर्न हासिल किया जा सकता है। वर्ष 2008 की शुरुआत से ही धातु और कच्चे तेल की कीमतों में भारी तेजी का रुख रहा है। कच्चे तेल में पिछले महीने जबरदस्त तेजी रही थी, उधर सोना, चांदी, कॉपर और सीसा में इस साल 30 फीसदी तक की तेजी आई और अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी।
जैव-ईंधन और पैदावार में कमी की आशंका से सोयाबीन, पाम ऑयल और सरसों बीज भी नई ऊंचाई छूने में कामयाब रहा। यहां तक कि गेहूं, चावल और मक्का ने भी इस साल अपने उच्चतम स्तर को छुआ। पिछले महीने इन सभी कमोडिटी में तेज गिरावट देखी गई। ऐसे में निवेशक इन कमोडिटी को अच्छे विकल्प की तरह देख रहे हैं।
कॉमटेंड्ज रिस्क मैनेजमेंट सविर्सेज के डायरेक्टर टी. गननसेकर ने बताया, 'ये सभी कमोडिटी अभी अपने वास्तविक स्तर से नीचे हैं। अगले 6 महीने से लेकर साल के दौरान कपास, कॉफी और चीनी का समय काफी अच्छा है।' चालू खरीफ सीजन में किसानों ने कपास और चीनी पर सोयाबीन और चावल की बुआई को प्राथमिकता दी है। इससे कपास और चीनी की पैदावार प्रभावित रहने की आशंका है।
कोटक कमोडिटी सर्विसेज के विश्लेषक अमोल तिलक ने बताया, 'घरेलू बाजार में चीनी का ट्रेडिंग वॉल्यूम पहले ही बढ़ चुका है। चीनी अभी 1,780 रुपए प्रति क्विंटल पर ट्रेड की जा रही है। अगले साल 1,975-2,000 रुपए के स्तर पर जाने से पहले चीनी में कुछ गिरावट आ सकती है।'
कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने बताया कि अक्टूबर 2007 से जुलाई 2008 के बीच पिछले साल की तुलना में कपास की कीमतों में 20-40 फीसदी की तेजी आई है, हालांकि बाजार में नई फसल आने की संभावना से कीमतों में थोड़ी नरमी आ सकती है, लेकिन पैदावार क्षेत्र कम होने से अगले साल कपास का भाव बढ़ सकता है। रेलिगेयर कमोडिटीज के जयंत मांगलिक ने बताया कि निवेशक खरीदारी कर रहे हैं और ग्वार बीज व मेंथा जैसे प्रीमियम कमोडिटीज में डिलीवरी उठा रहे हैं। (ET Hindi)
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