नई दिल्ली August 18, 2008 ! जुलाई के तीसरे हफ्ते के बाद मानसून की स्थिति में गजब का सुधार हुआ है।
पहले जहां अनुमान लगाया जा रहा था कि अनियमित और असमान बारिश की वजह से खरीफ के रकबे में कमी हो सकती है, वहीं अब कहा जा रहा है कि इस साल खरीफ के रकबे में खासी वृद्धि हुई है।
अगस्त के पहले हफ्ते तक के आंकड़े बताते हैं कि धान के रकबे में पिछले साल की तुलना में 20 लाख हेक्टेयर की वृद्धि हो चुकी है। तिलहन का रकबा भी पिछले साल के स्तर तक जा पहुंचा है। हालांकि मोटे अनाज, दलहन और नगदी फसलों की अब तक कितनी बुआई हुई है, इसके आंकड़े अभी तक प्रमाणित नहीं हैं।
जानकारों का मानना है कि मानसून के अभी भी सक्रिय रहने और बुआई जारी रहने से प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की वह धारणा गलत साबित हो जाएगी, जिसके मुताबिक इस साल खरीफ फसलों के कुल रकबे में कोई वृद्धि नहीं होगी। ऐसा इसलिए कि आर्थिक सलाहकार परिषद ने तब अपनी धारणा जुलाई मध्य तक हुई बरसात के आधार पर बनायी थी।
यह तब की बात है जब देश के केंद्रीय और पश्चिमी इलाके या तो बारिश का अभाव झेल रहे थे या वहां कम बारिश हुई थी। 25 जुलाई के बाद देश के कई इलाकों विशेषकर वहां जहां न के बराबर बारिश हुई थी, में जमकर बारिश हुई है। इस बारिश को औसत से काफी ज्यादा बताया गया है। 9 अगस्त को देश के दक्षिणी क्षेत्र, महाराष्ट्र और गुजरात समेत अन्य इलाकों में काफी मूसलाधार बारिश हुई।
12 अगस्त को तो इस सीजन की सबसे अधिक बारिश दर्ज की गई। इस दिन पूरे देश में 20 मिलीमीटर से ज्यादा बारिश हुई थी। उम्मीद की जा रही है कि अगले कुछ दिन तक मानसून की सक्रियता इसी तरह बनी रहेगी। उत्तरी-पश्चिमी इलाके को तो यह हाल है कि मानसून की शुरुआत से ही यहां सरप्लस बरसात हुई है।
कृषि मंत्रालय द्वारा जारी खरीफ फसलों की बुआई रिपोर्ट में कहा गया है कि 7 अगस्त तक खरीफ की मुख्य फसल धान का रकबा पिछले साल के 2.34 करोड़ हेक्टेयर की तुलना में 2.51 करोड़ हेक्टेयर तक पहुंच चुका है।
उत्तरी-पश्चिमी भाग को छोड़ देश के अन्य इलाकों में अभी भी धान की बुआई जारी है। जाहिर है धान के रकबे में अच्छी खासी बढ़ोतरी होने की गुंजाइश है। हालांकि अन्य खाद्य फसलों जिनमें मोटे अनाज और दलहन शामिल हैं, के अलावा कपास, गन्ना और जूट का रकबा अभी भी पिछले साल से कम हैं।....BS Hindi
18 अगस्त 2008
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