नई दिल्ली August 19, 2008 ! महंगाई को थामने की कोशिशों के तहत सरकार अक्टूबर की शुरुआत में तकरीबन 40 लाख टन गेहूं बाजार में उतार सकती है।
बताया जा रहा है कि ये गेहूं कम कीमतों पर बाजार में उपलब्ध कराए जाएंगे। जबकि इसे थोक और खुदरा सभी तरह के उपभोक्ताओं को मुहैया कराया जाएगा। हर साल त्योहारों के समय विभिन्न उत्पादों की कीमत में खासी बढ़ोतरी हो जाने के मद्देनजर सरकार ने अक्टूबर की शुरुआत में सस्ती दर पर गेहूं बेचने का मन बनाया है।
गेहूं की इस बिक्री पर 1,200 करोड़ रुपये का खर्च आ सकता है। उल्लेखनीय है कि थोक मूल्य सूचकांक में गेहूं की हिस्सेदारी 1.38 फीसदी की है। जबकि 2 अगस्त को खत्म सप्ताह में महंगाई की दर रेकॉर्ड 12.44 फीसदी तक जा पहुंची है। आर्थिक मामले एवं खाद्य और जन वितरण प्रणाली के विभाग सरकार की इस योजना का समर्थन कर रहे हैं।
हालांकि योजना आयोग चाहता है कि इस योजना के तहत 60 लाख टन गेहूं बेचा जाए। इसके लिए 600 करोड़ की अतिरिक्त राशि का इंतजाम किया जा सकता है। इससे इस योजना का खर्च 1,800 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा। सूत्रों के मुताबिक, आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति के सामने मंजूरी के लिए इस प्रस्ताव को जल्द ही लाया जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि रबी विपणन के मौजूदा सत्र में 2.25 करोड़ टन गेहूं की रेकॉर्ड खरीद हुई है, जो पिछले सीजन की तुलना में लगभग दोगुनी है। पिछले सालभर से खुले बाजार में गेहूं की कीमतें तकरीबन स्थिर बनी हुई है और उम्मीद की जा रही है कि आगे भी इसमें ठहराव की स्थिति बनी रहेगी।
हालांकि सरकारी एजेंसियों की ओर से हुई रेकॉर्ड खरीद के चलते आशंका जतायी जा रही है कि खुले बाजार में गेहूं की किल्लत हो सकती है। इस वजह से साल के अंत तक गेहूं की कीमतों में वृद्धि हो सकती है। लिहाजा सस्ते दर पर गेहूं बेचने का फैसला उपभोक्ताओं के लिए राहत की बात हो सकती है।
प्रस्तावित योजना के तहत केंद्र सरकार राज्यों को बाजार से कम कीमत पर खुदरा ग्राहकों के बीच गेहूं वितरण के लिए कह सकती है। इसके लिए केंद्र सरकार राज्यों को गेहूं का आवंटन कर देगी। जबकि गेहूं की खुदरा कीमतें तय करने की जिम्मेदारी एफसीआई निभाएगी।...BS Hindi
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