नई दिल्ली, 13 अगस्त। हल्दी के प्रमुख उत्पादक राज्यों तमिलनाडु व कर्नाटक में जहां चालू बिजाई सीजन में इसके बिजाई क्षेत्रफल में आठ से दस फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है वहीं आंध्रप्रदेश में इसके बिजाई क्षेत्रफल में 10 से 15 फीसदी की कमी दर्ज की गई है जबकि महाराष्ट्र में बिजाई तो सामान्य: क्षेत्रफल से कम हुई है लेकिन माना जा रहा है कि हाल ही में हुई वर्षा से पछेती फसल की बिजाई हो सकती है। हल्दी की नई फसल फरवरी माह में आयेगी तथा जानकारों का मानना है कि नई फसल की आवकों तक अगर मौसम फसल के अनुकूल रहा तो हल्दी का उत्पादन 42 से 43 लाख बोरियों का हो सकता है। ज्ञात हो कि गत वर्ष देश में हल्दी का उत्पादन 43 लाख बोरियों का हुआ था।
नई फसल की आवकों में अभी छ: माह का समय शेष है तथा इस समय उत्पादक मंडियों में हल्दी का स्टॉक 18 से 19 लाख बोरियों का बचा हुआ है। इसमें हल्दी की प्रमुख मण्डी इरोड़ में 7 से 8 लाख बोरी, निजामाबाद में 2 लाख बोरी, वारंगल में 2.5 लाख बोरी, डुग्गीराला में 2.5 लाख बोरी तथा नानदेड़ में 1 लाख बोरी व सांगली तथा बहरामपूर (उड़ीसा) आदि में करीब 2.5 से 3 लाख बोरियों का स्टॉक है। निजामाबाद मण्डी के हल्दी के प्रमुख व्यापारी पूनम चंद गुप्ता के अनुसार वर्तमान में हल्दी की खपत प्रति माह करीब सवा दो से ढ़ाई लाख बोरियों की हो रही है। अत: नई फसल के समय बकाया स्टॉक सीमित मात्रा में ही बचने की उम्मीद है। हालांकि इस दौरान मौजूदा भावों में लम्बी-चौड़ी तेजी आयेगी ऐसे आसार भी कम है क्योंकि वर्तमान में उत्पादक मंडियों में हल्दी के भाव जैसे ही 4100 रूपये प्रति क्विंटल से ऊपर जाते हैं लिवाली कमजोर पड़ जाती है।
इरोड़ मण्डी में इस समय हल्दी की दैनिक आवक करीब 3800 से 4000 बोरियों की हो रही है जबकि भाव 3900 से 4100 रूपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं। ज्ञात हो कि जुलाई माह में यहां हल्दी के भाव स्टॉकिस्टों की सक्रियता के चलते बढ्कर 4700 से 4800 रूपये प्रति क्विंटल हो गये थे। सूत्रों के अनुसार पिछले माह स्टॉकिस्टों ने हल्दी के ऊंचे भाव देखे है इसलिए नई फसल से पहले स्टॉकिस्ट मौजूदा भावों में एक बार फिर से तेजी तो ला सकते हैं लेकिन उक्त तेजी स्थिर रह पायेगी ऐसी संभावना न के बराबर है। ....R S Rana
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