कोलकाता May 31, 2010
चीन की ओर से भंडार घटाए जाने और यूरोपीय बाजारों की मुश्किलों के चलते अगले कुछ दिनों में स्टील उत्पादक कीमतों में 2,000 रुपये टन तक की कमी करसकते हैं।एक स्टील उत्पादक के मुताबिक, 'पिछले महीने चीन के कारोबारियों ने करीब 40 फीसदी भंडार निकाला है। ऑटोमोबाइल और एल्युमीनियम क्षेत्र में इस्तेमाल किए जाने वाले फ्लैट स्टील का आयात अप्रैल में सालाना आधार पर 57 फीसदी बढ़ा है जिसमें चीन की हिस्सेदारी 40 फीसदी है। हॉट रोल्ड कॉयल (एचआरसी) के आयात में चीन का योगदान 63 फीसदी है। इसे देखते हुए घरेलू स्टील उत्पादकों ने भी अगले कुछ दिनों में दाम घटाने का फैसला किया है। एक स्टील उत्पादक के मुताबिक, 'आयातित स्टील और घरेलू स्टील की कीमतों में 2,000-3,000 रुपये प्रति टन का अंतर है।जेएसडब्ल्यू स्टील के निदेशक (बिक्री और विपणन) जयंत आचार्य का कहना है, 'कीमतों में गिरावट की आशंका है। आने वाले कुछ दिनों में हम कीमतों को लेकर कोई फैसला लेंगे।भूषण स्टील के प्रबंध निदेशक नीरज सिंघल का भी कहना है कि कीमतों में कटौती हो सकती है। हालांकि, स्टील उत्पादकों को भरोसा है कि कीमतों में नरमी अस्थायी है क्योंकि मांग में अभी भी मजबूती बनी हुई है। जापान की स्टील कंपनियों निप्पॉन स्टील और जेएफई स्टील जुलाई से कीमतों में 100 डॉलर से ज्यादा की बढ़ोतरी करने की योजना बना रही हैं।एक घरेलू स्टील उत्पादक का कहना है, 'हो सकता है कि हम भी जुलाई में कीमतों में दोबारा बदलाव लाएं और इसमें बढ़ोतरी की जाए। वल्र्ड स्टील एसोसिएशन के आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल 2010 में चीन में कच्चे स्टील का उत्पादन 554 लाख टन रहा। अप्रैल 2009 के मुकाबले इसमें 27 फीसदी की उछाल आई है।यह एक महीने में देश का सर्वाधिक उत्पादन भी है। औद्योगिक सूत्रों के मुताबिक इस साल के लिए उत्पादन अनुमान 6600 लाख टन का है, लिहाजा मांग में कोई बदलाव नहीं होना चाहिए। पिछले कुछ महीनों की उछाल के बाद पहली बार फ्लैट स्टील की कीमतों में गिरावट देखने को मिलेगी। अप्रैल में कुछ उत्पादकों ने कीमतों में 100 डॉलर प्रति टन तक का इजाफा किया था। दिसंबर से मार्च के बीच स्टील की कीमतों में 28 फीसदी की उछाल आई है। एचआरसी की कीमत 34,000 रुपये टन तक बढ़ चुकी हैं। निर्माण उद्योग में इस्तेमाल किए जाने वाले लॉन्ग स्टील के भाव कुछ नरम रहे हैं। अप्रैल तक कीमतों में 5,000 रुपये टन तक की गिरावट दिखी है। मॉनसून आने के बाद निर्माण क्षेत्र में गतिविधियां कम हो जाती हैं जिससे कीमतों में और कमी आ सकती है। (बीएस हिंदी)
01 जून 2010
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