मुंबई May 31, 2010
पिछले दो सप्ताह में तांबे की कीमतें 7।25 प्रतिशत बढ़कर 6939 डॉलर प्रति टन तक पहुंच गई है। इससे वित्तीय बाजारों में निवेशकों को काफी राहत मिली है। लंदन मेटल एक्सचेंज में गिरते भंडार की खबरों के कारण इस धातु में कुछ उपयोगकर्ताओं ने अपनी जरूरतों को हेज किया है। हालांकि, कई अभी भी उम्मीद कर रहे हैं कि उतार-चढ़ाव रहेगा जिससे उनको अपनी जरूरतों को निचले स्तर पर हेज करने का मौका मिलेगा। एल्युमीनियम के साथ तांबा एक प्रमुख औद्योगिक धातु है और यह हमेशा वैश्विक सुधार के साथ-साथ बिजली और निर्माण जैसे उद्योगों की उपभोग जरूरत के अनुसार घटती-बढ़ती है। एलएमई में तीन महीने का तांबा वायदा 17 मई को 6470 डॉलर के निचले स्तर को छू चुका है। यह स्तर फरवरी 2010 के बाद नहीं देखा गया। भारत में भी तांबे की कीमतों का नकारात्मक रुझान बना रहा है। हालांकि, निचले स्तर पर खरीदारी से इस धातु को कुछ मदद मिलती है।कैपिटल लाइन के विश्लेषण के अनुसार तांबे की कीमतें भंडार के स्तर के हिसाब से नहीं चल रही हैं। इस समय लंदन में भंडार 6 महीने के निचले स्तर पर चले गए हैं लेकिन आशंकाएं हैं कि यह गिरावट ज्यादा लंबी नहीं चलेगी और अमेरिका तथा यूरोप में मांग की कमी आनेवाले महीनों में बड़ी भूमिका निभाएगी।औसत मांग के साथ आपूर्ति भी बढ़ रही है जिससे कीमतें नियंत्रण में रह सकती हैं।वल्र्ड ब्यूरो ऑफ मेटल स्टेटिस्टिक्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि तांबा बाजार में जनवरी से मार्च 2010 के दौरान 1,35,000 टन का रिकार्ड अधिशेष था जबकि पूरे वर्ष 2009 में तांबे का अधिशेष 3,38,000 टन रहा था। मार्च तिमाही में विश्व खनिज उत्पादन 37.8 लाख टन था जो वर्ष 2009 की तुलना में 1.6 प्रतिशत अधिक था। इसी तरह शोधित उत्पादन भी मार्च तिमाही के दौरान 4.8 प्रतिशत अधिक रहकर 47.1 लाख टन रहा। (बीएस हिंदी)
01 जून 2010
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