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01 जून 2010

भारत फिर बन सकता है चीनी निर्यातक

May 31, 2010
खाद्यान्न महंगाई दर अभी भी 16।5 प्रतिशत पर बनी हुई है, जो राष्ट्रीय चिंता का विषय है। लेकिन चीनी की खुदरा बाजार में गिरती हुई कीमतों से थोड़ी राहत मिली है। इससे कृषि मंत्री शरद पवार को भी राहत मिली है। इस साल गन्ने का रकबा बढऩे की उम्मीद है। इसका फायदा अक्टूबर 2010 में शुरू होने वाले अगले चीनी सत्र में मिलेगा। इससे पवार को यह कहने के लिए प्रोत्साहन मिला है कि 2010-11 में निश्चित रूप से भारत चीनी का निर्यातक बन जाएगा। चीनी की कीमतों में गिरावट के दो प्रमुख कारण हैं। सितंबर में समाप्त होने जा रहे भारत के वर्तमान चीनी सत्र में उत्पादन 185 लाख टन होने का अनुमान है। पहले अंतरराष्ट्रीय चीनी संगठन ने अनुमान लगाया था कि 2010-11 में भारत का चीनी उत्पादन 150 लाख टन रहेगा और चीनी सत्र की समाप्ति घाटे से होगी। पिछले दिसंबर से फरवरी के बीच चीनी की कीमतें बहुत ज्यादा रहीं। उसके बाद कीमतों में कमी आनी शुरू हुई। अन्य सह उत्पादों को छोड़ देने पर भी उस दौरान चीनी मिलों को मुनाफा हुआ। देश के चीनी उद्योग में स्थिरता नहीं है। होने वाले तमाम बदलाव इसकी दिशा तय करते हैं। खासकर गन्ने के दाम को लेकर राज्य स्तर के राजनेता उत्पादकों को हितों को लेकर सक्रिय रहते हैं। गन्ने की कीमतें तय किए जाने में आर्थिक तर्क शामिल नहीं होते, जैसा कि अन्य देशों में होता है। यही कारण है कि केंद्र सरकार गन्ने का उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) तय करती है, उसके बाद राज्य सरकारें राज्य समर्थित मूल्य (एसएपी) तय करती हैं। इसके जरिए राज्य सरकारें गन्ने के दाम में अंतर ले आती हैं।राज्यों के दबाव के चलते नई दिल्ली ने थोराट समिति की रिपोर्ट को छोड़ दिया, जिसमें कहा गया था कि उत्पादकों को सिर्फ एफआरपी मिलना चाहिए और कोई भी राज्य उस पर प्रीमियम नहींं दे सकता। कृषि आधारित इस जिंस के उत्पादन में भी उतार-चढ़ाव आता रहता है। यह मॉनसून और गन्ने की बुआई के क्षेत्रफल पर निर्भर करता है।इस उद्योग से जुड़े एक अधिकारी ने कहा, '2007-08 में गन्ने का रकबा इतना ज्यादा रहा कि चीनी का उत्पादन बढ़कर 283.3 लाख टन पर पहुंच गया। वहीं 2008-09 में उत्पादन गिरकर 146 लाख टन पर आ गया। इसके बाद उत्पादन में सुधार हुआ और इस साल यह बढ़कर 185 लाख टन होने का अनुमान है। उत्पादन मेंं उतार चढ़ाव की प्रमुख वजह गन्ने की कीमतें अवैज्ञानिक होना है। चीनी उत्पादन और गन्ने की बुआई के रकबे में काफी अंतर है। (बीएस हिंदी)

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