मुंबई May 31, 2010
छोटे निवेशकों को कमोडिटी एक्सचेंजों से जोडऩे के लिए इन दिनों मिनी कॉन्टै्रक्ट कारोबार जोर पकड़ रहा है। देश के सबसे बड़े कमोडिटी एक्सचेंज एमसीएक्स ने पिछले सप्ताह जस्ते के मिनी कॉन्टै्रक्ट लॉन्च किए थे और अब 1 जून से सीसे के मिनी कॉन्टै्रक्ट में वायदा कारोबार शुरू होने जा रहा है। मिनी कॉन्टै्रक्ट में निवेशकों की बढ़ती दिलचस्पी को देखते हुए जल्दी ही और जिंसों के मिनी कॉन्टै्रक्ट में वायदा कारोबार शुरू किया जा सकता है।बाजार में भारी घट बढ़ के कारण बढ़े साइज की अपेक्षा मिनी कॉन्टै्रक्ट में वायदा कारोबार करना कारोबारी ज्यादा पसंद कर रहे हैं। ब्रोकरों के अनुसार इसका सबसे बड़ा फायदा छोटे निवेशकों को मिलता है क्योंकि वह भी बाजार में कारोबार कर पाते हैं। दूसरी तरफ इसका फायदा एक्सचेंंज को भी मिल रहा है। एक तो ज्यादा निवेशक उनसे जुड़ रहे हैं और दूसरा, बड़े निवेशकों का एकाधिकार कम होता है जिससे किसी भी सूरत में बाजार को संभलने का मौका मिलता है।एमसीएक्स अधिकारियों के अनुसार मंगलवार से सीसे में शुरू किया जा रहा मिनी कॉन्ट्रैक्ट कारोबारियों के सौदों के अनुकूल बनाए गए हैं। शुरुआती दौर में कॉन्टै्रक्ट जून और जुलाई के होंगे। बाद में इसके और भी कॉन्टै्रक्ट शुरू किये जाएंगे। गौरतलब है कि बीते हफ्ते एक्सचेंज पर जस्ते के मिनी कॉन्टै्रक्ट लॉन्च किए गए थे जिसे कारोबारियों व निवेशकों का भारी प्रतिसाद मिल रहा है। एक्सचेंज के मुताबिक सीसे के जून व जुलाई के मिनी कॉन्टै्रक्ट की खास विशेषता इसके लॉट साइज का एक टन होना है जबकि सामान्य कॉन्टै्रक्ट का साइज 5 टन है। सीसे के मिनी कॉन्टै्रक्ट में अधिकतम ऑर्डर साइज 100 टन और टिक साइज प्रति किलो 5 पैसे है। डिलीवरी सेंटर भिवंडी रखा गया है। कॉन्टै्रक्ट में आरंभ मार्जिन 5 प्रतिशत रखा गया जो अत्यधिक उतार-चढ़ाव की सूरत में बढ़ाया घटाया जा सकता है।इन कॉन्टै्रक्टों में ज्यादा घटबढ़ की सूरत में पहले 4 प्रतिशत की सर्किट लगेगी। इसके पार करने पर कूलिंग अवधि के बाद 6 प्रतिशत तक सर्किट को बढ़ाया जा सकता है। इसके बाद भी यदि भाव सर्किट को छूता है तो पंद्रह मिनट की कूलिंग के बाद 9 प्रतिशत तक छूट की सीमा बढ़ाई जाएगी। अंतरराष्ट्रीय बाजारों में यदि इसके बाद भी तेजी बनी रहती है तो वायदा बाजार आयोग की अनुमति से 3 प्रतिशत की और सर्किट सीमा बढ़ाई जाएगी।सुरक्षा उपकरणो, और बिल्डिंग मटेरियल्स, ग्लेजिंग सिरैमिक्स, साउंड प्रूफिंग, अस्पतालों में एक्स-रे के अलावा गामा रेडिएशन और न्यूक्लियर रेडिएशन से बचाने में इस उपयोगी धातु का इस्तेमाल किया जाता है। अमेरिका, जापान, चीन, यूरोपीय संघ और भारत इसके मुख्य उत्पादक देश हैं जबकि ऑस्ट्रेलिया और चीन इसके मुख्य आपूर्तिकर्ता हैं। (बीएस हिंदी)
01 जून 2010
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