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05 दिसंबर 2009

सोने की खपत में भारत को पीछे छोड़ देगा चीन

शंघाई : दुनिया भर में भारत सोने का सबसे बड़ा उपभोक्ता देश है, लेकिन वर्ष 2009 में चीन भारत को पीछे छोड़कर इसमें अपना कब्जा जमा लेगा। मेटल कंसल्टेंसी जीएफएमएस ने शुक्रवार को कहा है कि वर्ष 2009 में चीन में सोने की कुल मांग 432 टन रहेगी। जीएफएमएस ने कहा है कि वर्ष 2009 में निवेशकों को सोने की रिकॉर्ड कीमतों का सामना करना पड़ा है। चीन ने अपने बुलियन बाजार को खुला बनाने के लिए हाल के कुछ सालों में कई ऐहतियाती कदम उठाए हैं। वर्ष 1949 में कम्युनिस्टों के सत्ता में आने के बाद चीन में सोने की जमाखोरी पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। कमोडिटी जानकारों का कहना है कि चीन में सोने की बढ़ती भूख से भारत में इसकी मांग में गिरावट आ सकती है। पिछले साल कुल वैश्विक सोने के उपभोग में भारत की हिस्सेदारी 20 फीसदी से ज्यादा थी। जीएफएमएस के एग्जिक्यूटिव चेयरमैन फिलिप कैपविजिक ने बताया, 'हमारे अनुमान के मुताबिक सोने की खपत के मामले में चीन इस साल भारत को पीछे छोड़ देगा।' उनका कहना है कि चीन में ज्वैलरी और निवेश के लिहाज से सोने की कुल मांग वर्ष 2009 में 432 टन रह सकती है, जबकि भारत में इस साल सोने की कुल खपत 422 टन के आसपास रहेगी। हालांकि, इन आंकड़ों में इन देशों के केंद्रीय बैंकों द्वारा खरीदे गए सोने का जिक्र नहीं है। निवेश के लिहाज से चीन में सोने की कुल मांग 83 टन रहने का अनुमान है, जबकि भारत में यह आंकड़ा 53 टन रहेगा। भारत ने इस साल नवंबर में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से करीब 200 टन सोने की खरीदारी की। इसके बाद सोने ने कीमत के लिहाज से कई रिकॉर्ड बनाए। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा खरीदारी किए जाने के बाद इन कयासों को भी बल मिला कि दुनिया के उभरते देशों के केंद्रीय बैंक भी इसी राह पर चल सकते हैं। खासकर, चीन जिसके पास 2.27 ट्रिलियन डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार है। (ई टी हिन्दी)

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