नई दिल्ली December 20, 2009
आर्थिक सुधार के संकेत मिल रहे हैं। बावजूद इसके, उद्योग जगत का डंपिंग को लेकर भय भी बढ़ा है।
इसके चलते चालू वित्त वर्ष में भारत सरकार 20 से ज्यादा ताजा डंपिंग मामलों की जांच कर रही है। वहीं 2008-09 के दौरान कुल 21 डंपिंग रोधी मामले सामने आए थे।
7 दिसंबर तक 20 डंपिंग रोधी जांच के मामलों में चीन के खिलाफ 15 मामले हैं, वहीं अन्य मामले थाइलैंड, जापान और मलेशिया के हैं। यूरोपियन यूनियन, रूस, ऑस्ट्रेलिया, वियतनाम, सिंगापुर, इजरायल, सऊदी अरब, इंडोनेशिया, मैक्सिको, ताइवान, दक्षिण कोरिया और ओमान की कारोबारी गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है।
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत आने वाले डॉयरेक्टरेट आफ एंटी डंपिंग ऐंज एलॉयड डयूटीज (डीजीएजी) ज्यादातर उपभोक्ता वस्तुओं, औद्योगिक रसायन, पारेषण उपकरण, ऑटो पार्ट्स, इलेक्टॉनिक सामान और मशीनरीज के मामलों में जांच कर रहा है।
बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत में एक अधिकारी ने कहा, 'भारत एक आकर्षक बाजार है, इसलिए हम इस मामले में सचेत हैं। वहीं आर्थिक तेजी के संकेतों के साथ हम घरेलू उद्योगों के हितों को देखते हुए कदम उठा रहे हैं।'
चीन के खिलाफ इस समय ताजा डंपिंग रोधी जांच रेडियल टायर, फं्रट ऐक्सल बीम और स्टीयरिंग नकल्स, वीविंग मशीन, प्लास्टिक प्रसंस्करण मशीनरी, औद्योगिक रसायन, कार्बन ब्लैक और रासायनिक मिश्रण को लेकर चल रही है।
पिछले वित्त वर्ष में जांच के मामले में चीन पहले स्थान पर रहा, जिसके खिलाफ 16 मामले आए, इसके बाद थाईलैंड, दक्षिण कोरिया, इंडोनेशिया, मलेशिया, ताइवान, रूस, दक्षिण अफ्रीका, अमेरिका, यूरोपियन यूनियन, और सिंगापुर के नाम आते हैं। ज्यादातर मामले रासायनिक उत्पादन, फार्मास्यूटिकल्स, उपभोक्ता वस्तुओं, धातु उत्पाद, फाइबर और धागों से संबंधित थे।
सूत्रों ने यह भी कहा कि दुबई में संकट की वजह से भी मामले बढ़ सकते हैं, क्योंकि इससे कुछ जिंसों की कीमतों में गिरावट आ सकती है। बहरहाल, विशेषज्ञों के मुताबिक दुबई से भारत में आयात बहुत ज्यादा नहीं है। डेलायट इंडिया के प्रमुख अर्थशास्त्री शांतो घोष ने कहा, 'मुझे लगता है कि दुबई से भारत में आयात की संभावनाएं कम हैं। इसकी हिस्सेदारी कुल आयात का महज 12 प्रतिशत है और आयात बास्केट में जिंसों की हिस्सेदारी और कम है।'
वर्ल्ड ट्रेड आर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूटीओ) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ने अन्य सदस्यों की तुलना में ज्यादा मात्रा में डंपिंग रोधी जांच की है। भारत ने 2008 की तीसरी तिमाही में 42 से ज्यादा डंपिंग रोधी मामलों की जांच की, जो डब्ल्यूटीओ के सदस्य देशों के कुल 120 मामलों की जांच में सबसे ज्यादा है।
2008-09 में डंपिंग रोधी जांच के मामलों में 16.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है और यह 103 की तुलना में बढ़कर 120 हो गया है। जबकि इस दौरान आर्थिक मंदी के भय में कमी आई है।
2009-14 के लिए बनी कारोबार नीति में सरकार ने डॉयरेक्टरेट आफ ट्रेड रेमेडी मीजर्स गठित करने की घोषणा की थी, जिससे भारतीय उद्योग, निर्यातकों, छोटे और मझोले कारोबारियों को कारोबार को बचाने के उपायों के तहत रक्षा हो सके। वर्तमान में 3 तरह के कदम उठाए जा रहे हैं, जिससे खास उत्पादों के आयात में बढ़ोतरी को रोका जा सके।
यह कदम घरेलू उद्योगों के आवेदन के बाद उठाया जाता है, जिनके सस्ते आयात के चलते घरेलू उद्योग प्रभावित होते हैं। इस तरह का आवेदन जब डीजीएजी के पास आता है तो वह उस विशेष आयात के खिलाफ जांच करता है, और संबंधित उद्योग को डंपिंग से होने वाले नुकसान को साबित करना होता है।
उसके बाद डीजीएजी वित्त मंत्रालय के पास अपनी संस्तुति भेजता है और वह तीन महीने के भीतर डंपिंग रोधी शुल्क लगाने के बारे में अधिसूचना जारी करता है। जांच के नतीजों को देखते हुए वित्त मंत्रालय का राजस्व विभाग भी संरक्षण शुल्क (सेफगार्ड डयूटी) लगाने का कदम उठाता है।
जहां डंपिंग रोधी शुल्क 5 साल तक के लिए लगाया जाता है, वहीं सेफगार्ड डयूटी 4 साल से ज्यादा समय के लिए नहीं लगाया जा सकता है।
हो रही है डंपिंग
भारत सरकार 20 से ज्यादा ताजा डंपिंग रोधी मामलों की जांच कर रही हैडब्ल्यूटीओ के सदस्य देशों में डंपिंग रोधी शुल्क लगाने वाले देशों में भारत पहले स्थान पर जांच के लिए आए ताजा 20 मामलों में 15 चीन के खिलाफ चल रहे हैंज्यादातर मामले उपभोक्ता वस्तुओं, औद्योगिक रसायन, पारेषण उपकरण, ऑटो पार्ट, इलेक्ट्रॉनिक सामान के (बीएस हिन्दी)
22 दिसंबर 2009
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