28 दिसंबर 2009
महंगाई की तपन से झुलसा आम आदमी
महंगाई के कारण दाल—-रोटी भी मध्यम वर्ग की पहुंच से दूर होती जा रही है। शक्कर के कारण चाय की चुस्कियों पर भी महंगाई का रंग चढ़ गया है। इसके अलावा व्रत-—उपवास में काम आने वाले साबूदाने सहित कई सामग्री के दाम भी डेढ़ गुना तक बढ़ गए है। वैश्विक मंहगाई के दौर में पाली में भी बढ़ती महंगाई का असर साफ नजर आ रहा है। किराणा वस्तुओं से लेकर गेहू, चावल, शक्कर के दाम भी पिछले वर्षों की अपेक्षा काफी बढ़ गए है। पिछले कुछ माह पहले आसमान पर चढ़े दाम अभी तक नीचे नही आए है और गरीब से लेकर अमीर तक के खाने में काम आने वाले गेहूं का दाम भी इस वर्ष 400—-500 रुपए क्विटल तक बढ़ गया है। तो वही शक्कर के भाव भी 20—-22 रु। किलो से इस वर्ष 38 रु. किलो तक पहुंच गए।बढ़े अनाज और दालों के भाव : गरीब से लेकर अमीर तक की थाली में नजर आने वाली गेहूं एवं सर्दी के मौसम में राजस्थान में मक्की एवं बाजरी की रोटी चाव से खाई जाती है लेकिन गेहूं के भाव पिछले वर्ष 1200 से 1400 रुपए क्विंटल थे वे इस अब बढ़कर 1600-—1800 रुपए क्विंटल तक पहुंच गए है। वही बाजारी 900 रुपए 1200 रुपए क्विंटल तक तो मक्की में पिछले वर्ष जहां 1 हजार रुपए क्विंटल थी जो इस वर्ष बढ़कर 1500 रुपए क्विंटल तक पहुंच गई है। महंगाई केवल अनाजों तक ही सिमट कर नही रही गई है दालों के भाव भी काफी बढ़ गए है। मंूग की दाल 45 रुपए किलो से बढ़कर इस वर्ष 65 रुपए हो गई है वही मसूर की दाल भी 55-57 रूपए किलो से 70 रुपए किलो एवं उड़द की दाल 55-60 रुपए किलो से बढ़कर 70-72 तक पहुंच गई है।बढ़े फलों के भी दाम पिछले वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष फलों के दाम भी काफी बढ़े है। सेव 50-55 से अब 70-80 रु. किलो तक पहुंच गई तो संतरे के भाव भी 15—-20 से बढ़कर 25-30 रु. किलो तक पहुंच गए। वही पपीते के भाव भी 15 से इस वर्ष 20 रुपए किलो तक पहुंच गए।यूपी सरकार की ओर से गन्ने का मूल्य बढ़ा देने से गुड़ व शक्कर महंगी हुई है, वही बारिश में कमी के चलते दालों की फसल कम होने से दालों के भाव बढ़े है।-ढगलाराम चौधरी, व्यापारीक्या करें भाई साहब महंगाई तो हर वर्ष बढ़ती ही जा रही है पर खाने—पीने की वस्तुएं का तो उपयोग करना ही पड़ेगा चाहे भाव बढ़े सा न बढ़े। बस तकलीफ यही है कि महंगाई के साथ—साथ वेतन नही बढऩे से बचत पहले से काफी कम हो रही है। (दैनिक भास्कर)
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