मुंबई December 21, 2009
इस साल भारत में चीनी के उत्पादन में 11 प्रतिशत बढ़ोतरी का अनुमान है। बावजूद इसके, चीनी के वैश्विक आयात पर भारत का सबसे ज्यादा असर पड़ेगा।
संयुक्त राष्ट्र कृषि एवं खाद्य संगठन (एफएओ) की हालिया रिपोर्ट में यह राय जाहिर की गई है। एफएओ का अनुमान है कि भारत का चीनी उत्पादन 11 प्रतिशत बढ़कर इस साल 175 लाख टन हो सकता है। लेकिन ताजा अनुमान, शुरुआती अनुमानों से कम है।
इसकी वजह जून और जुलाई महीनों में बारिश की कमी है, जब गन्ने को सबसे ज्यादा पानी की जरूरत होती है। उत्तर प्रदेश जैसे बड़े गन्ना उत्पादक राज्य में गन्ने की बुआई के क्षेत्रफल में कमी आई है। साथ ही न्यूनतम समर्थन मूल्य ज्यादा होने की वजह से गुड़ और खांडसारी इकाइयों के बजाय चीनी मिलों की ओर गन्ना आ सकता है।
हालांकि लगातार दूसरे साल चीनी का उत्पादन, खपत की तुलना में कम रहने के आसार हैं। एफएओ का मानना है कि भारत में चीनी का आयात गन्ने के उत्पादन की मात्रा पर निर्भर करेगा। इसका असर चीनी के वैश्विक बाजार पर निश्चित ही पड़ेगा। हालांकि अभी शुरुआती अनुमान है और इसमें बहुत अनिश्चितता है।
उदाहरण के लिए चीनी की वैश्विक कीमतों में कमी और डॉलर के कमजोर होने से आयात मांग तेज हो सकती है। बहरहाल, अनुमान है कि 2009-10 में चीनी का वैश्विक आयात बढ़कर 520 लाख टन पर पहुंच जाएगा, जो पिछले सत्र से 5 प्रतिशत ज्यादा होगा।
चीनी की कीमतों पर लगाम लगाने के लिए इस दौरान तमाम नीतिगत फैसले किए गए, जिसमें आयात शुल्क कम किया जाना, स्टॉक की सीमा तय करना और खुदरा कीमतों पर नियंत्रण शामिल है। इसके चलते विकासशील देशों में चीनी का कुल आयात बढ़ा है। (बीएस हिन्दी)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें