31 दिसंबर 2009
चीन की मांग बढ़ने से कॉटन देश-विदेश में महंगी
चीन की आयात मांग बढ़ने से अंतरराष्ट्रीय बाजार में पिछले एक सप्ताह में कॉटन की कीमत में करीब तीन फीसदी की तेजी आ चुकी है। न्यूयार्क बोर्ड ऑफ ट्रेड में कॉटन के मार्च वायदा अनुबंध के भाव बढ़कर 75।82 सेंट प्रति पाउंड हो गए हैं। चीन के कॉटन उत्पादन में करीब 15 फीसदी कमी आने का अनुमान है। निर्यातकों की मांग बढ़ने से घरेलू बाजार में भी इस दौरान कॉटन की कीमतों में 600 रुपये प्रति कैंडी की तेजी आ चुकी है। नॉर्थ इंडिया कॉटन एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश राठी ने बिजनेस भास्कर को बताया कि चीन में कॉटन के उत्पादन में करीब 15 फीसदी कमी आने की आशंका है। इसीलिए इस समय भारत से निर्यात मांग बढ़ी है। पिछले एक सप्ताह में ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में कॉटन के दाम तीन फीसदी बढ़ चुके हैं। 24 दिसंबर को न्यूयार्क बोर्ड ऑफ ट्रेड में कॉटन के मार्च वायदा अनुबंध के भाव 73.65 सेंट प्रति पाउंड थे जोकि बढ़कर 75.82 सेंट प्रति पाउंड हो गए हैं। हालांकि पिछले साल इस समय अंतररराष्ट्रीय बाजार में कॉटन का भाव 55.50 सेंट प्रति पाउंड था। अंतरराष्ट्रीय बाजार में आई तेजी के कारण पिछले एक सप्ताह में घरेलू बाजार में भी कॉटन के दाम 600 रुपये प्रति कैंडी बढ़ चुके हैं। अहमदाबाद की मंडियों में शंकर-6 किस्म की कॉटन का भाव बढ़कर 27,200 से 27,500 रुपये प्रति कैंडी (प्रति कैंडी 356 किलो) हो गए हैं जबकि 25 दिसंबर को इसके भाव 26,600 से 26,900 रुपये प्रति कैंडी थे।कॉटन व्यापारी संजीव गुप्ता ने बताया कि उत्पादक मंडियों में अब कॉटन की दैनिक आवक भी कम हो गई है। उत्तर भारत के प्रमुख उत्पादक राज्यों पंजाब, हरियाणा और राजस्थान की मंडियों में कॉटन की दैनिक आवक बुधवार को 23 हजार गांठ (एक गांठ-170 किलो) की ही हुई जबकि पिछले साल इस समय दैनिक आवक करीब 50 हजार गांठ की हो रही थी। गुजरात की मंडियों में दैनिक आवक बढ़कर 60 हजार गांठ की हो रही है जबकि पिछले साल इन समय 50 हजार गांठ की आवक हो रही थी। उधर महाराष्ट्र की मंडियों में कॉटन की दैनिक आवक 40 हजार गांठ की रह गई है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 50 हजार गांठ से कम है।कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएआई) के मुताबिक चालू सीजन में अभी तक उत्पादक मंडियों में एक लाख गांठ से ज्यादा कॉटन की आवक हो चुकी है। सीएआई के मुताबिक वर्ष 2009-10 में कॉटन की पैदावार 307 लाख गांठ (प्रति गांठ 170 किलो) होने की संभावना है। हालांकि पैदावार में बढ़ोतरी के बावजूद चीन में पैदावार कम होने और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कॉटन के भाव तेज होने से भारत से निर्यात भी बढ़कर 70 लाख गांठ होने की संभावना है। इसलिए आगामी दिनों में घरेलू बाजार में कॉटन की कीमतों पर अंतरराष्ट्रीय मांग का असर रहेगा। (बिज़नस भास्कर)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें