29 दिसंबर 2009
तड़का लगाइए, सस्ती हो रही हैं दालें
दालों की आसमान छूती कीमतों में कमी होने लगी है। इसका एक कारण यह है कि इस बार रबी सीजन में दलहन की अच्छी बुआई हुई है। साथ ही कारोबारियों का कहना है कि सब्जियां अब इतनी सस्ती हो गई हैं कि लोग दालों की जगह सब्जी का ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं। नई दाल आने से अगले एक-दो महीने में दालों की कीमतों में 10 फीसदी तक और गिरावट आ सकती है। दिल्ली ग्रेन मर्चेंट असोसिएशन के अध्यक्ष नरेश गुप्ता ने बताया कि एक सप्ताह के अंदर ही दालों की होलसेल कीमतों में करीब 8 फीसदी तक की कमी आई है। इस बार रबी सीजन में दालों की अच्छी बुआई हुई है। नई दाल की आवक लगातार होते रहने से कीमतों में अभी और गिरावट आएगी। अगले एक-दो महीने में दालों की कीमतों में 10 फीसदी तक की गिरावट और हो सकती है। सब्जियों की कीमत कम होने से भी दालों की डिमांड में कमी बताई जा रही है। नया बाजार में दालों के व्यापारी ओमप्रकाश जैन बताते हैं कि अरहर और मूंग की दाल सहित कई अन्य दालों का चीन, बर्मा और ऑस्ट्रेलिया आदि देशों से इम्पोर्ट किया जाता है। इम्पोर्ट अब भी पहले जितना ही हो रहा है, लेकिन मांग कम हो गई है। इससे कीमतें कम होने लगी हैं। गाजियाबाद की गोविंदपुरम अनाज मंडी में भी दालों की कीमत में गिरावट आई है। कारोबारियों का कहना है कि पहले महंगाई के कारण मंडी में दालों के खरीदार नहीं आ रहे थे। अब सब्जी की आवक बढ़ने से खरीदार और भी घट गए हैं। सब्जी इतनी सस्ती हो गई है कि लोग दाल की जगह सब्जी का ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं। इस कारण खाद्यान्न कारोबार 30 प्रतिशत घट गया है। मंडी में कानपुर, महाराष्ट्र, कर्नाटक, हरियाणा से अरहर की नई दाल भी आ गई है। खाद्यान्न कारोबारी संत कुमार ने बताया कि दालों के दाम में गिरावट आने के बाद भी मंडी में खरीदार बहुत कम नजर आ रहे हैं। गोदामों में माल भरा पड़ा है, लेकिन खरीदार नहीं होने की वजह से स्थिति खराब हो गई है। (ई टी हिन्दी)
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