चंडीगढ़ December 29, 2009
सभी बाधाओं को पार करते हुए हरियाणा ने धान का रिकॉर्ड उत्पादन किया है।
हालांकि इस साल मौसम भी प्रतिकूल रहा। इसकी वजह से उत्तर भारत में धान की फसलों पर बुरा प्रभाव पड़ा। हरियाणा में धान की बुआई 11.52 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में हुई थी, जबकि पिछले साल बुआई का कुल क्षेत्रफल 12.10 लाख हेक्टेयर था।
हरियाणा के खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री महेन्द्र प्रताप सिंह के मुताबिक धान का उत्पादन इस सीजन में 45.55 लाख टन रहा, जो 1966 के बाद का सर्वोच्च स्तर है। इसके पहले उच्चतम स्तर का रिकॉर्ड 2005 में 45.11 लाख टन का बना था।
चावल शोध केंद्र, कौल के वैज्ञानिक डॉ. रतन सिंह का कहना है कि मौसम प्रतिकूल रहने के बाद भी हरियाणा में रिकॉर्ड उत्पादन होने के कई कारण हैं। मॉनसून में देरी और बारिश में कमी की वजह से राज्य में बुआई के क्षेत्रफल में भी कमी आई। लेकिन हरियाणा के ज्यादातर इलाकों में सिंचाई की सुविधा होने की वजह से किसानों को मदद मिली और वे बारिश में कमी का सामना करने में सफल रहे।
सरकारी अधिकारियों ने टयूबवेल चलाने के लिए बिजली की आपूर्ति जारी रखने में मदद की। साथ ही विद्युत उत्पादन सुविधा को पूरी चुस्ती से बरकरार रखा। साथ ही सूखे जैसी स्थिति में कीटों का हमला भी कम हुआ, जिसकी वजह से पैदावार में बढाेतरी दर्ज की गई। पिछले साल टिड्डों के हमले से धान की फसल खराब हो गई थी और इसका उत्पादन पर बुरा प्रभाव पड़ा था।
कुरुक्षेत्र इलाके के सरकारी अधिकारियों ने सबसे ज्यादा धान की खरीद की जहां मंडियों में 9.40 लाख टन से ज्यादा धान की आवक हुई। वहीं दूसरे स्थान पर करनाल रहा, जहां 7.51 लाख टन धान की आवक मंडियों में हुई है। हरियाणा में सोमवार तक मंडियों में धान की कुल आवक 46.78 लाख टन हो गई है। पिछले साल धान की कुल आवक 43.03 लाख टन थी।
मंडी में आए धान की खरीद या तो सरकार ने की है, या मिल संचालकों और डीलरों ने। सरकारी एजेंसियों ने कुल 26।34 लाख टन धान की खरीद की है। वहीं मिल संचालकों और डीलरों ने 20.44 लाख टन धान की खरीद की है। (बीएस हिन्दी)
30 दिसंबर 2009
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें