उत्पादकों के अनुसार 27 रुपये पर भी उन्हें हो रहा प्रति लीटर 4 रुपये का नुकसान
मुंबई December 28, 2009
एथेनॉल उत्पादकों ने इसके दाम को बढ़ाकर 27 रुपये प्रति लीटर करने के सरकार के निर्णय का स्वागत किया है।
उत्पादकों के मुताबिक अभी के सूरतेहाल में तो एथेनॉल का उत्पादन आकर्षक नहीं है पर इस फैसले से भविष्य में उन्हें फायदा हो सकता है। गौरतलब है कि चीनी कंपनियां एथेनॉल का उत्पादन सह-उत्पाद के रूप में करती हैं। वे इसे अभी 21.5 रुपये प्रति लीटर पर बेच रही हैं।
केंद्रीय खाद्य और कृषि मंत्री शरद पवार ने पिछले हफ्ते बताया था कि तेल विपणन कंपनियों और चीनी मिलों के बीच एथेनॉल की कीमत को 27 रुपये प्रति लीटर करने पर सहमति बन गई है।
ऑल इंडिया डिस्टिलर्स एसोसिएशन के महानिदेशक वी. एन. रैना ने बताया, 'हम एथेनॉल के लिए 28 रुपये की मांग कर रहे थे जबकि सरकार 26 रुपये की बात कर रही थी। आखिरकार सरकार 27 रुपये प्रति लीटर के भाव पर सहमत हो गई। उद्योग के लिए यह अच्छी बात है।'
महाराष्ट्र के सहकारी चीनी मिलों के परिसंघ (एमएसएफसीएसएफ) के प्रबंध निदेशक प्रकाश नाइकनवारे के मुताबिक, 27 रुपये पर एथेनॉल बेचने के बावजूद उत्पादकों को प्रति लीटर 4 रुपये का नुकसान होगा। यह परिसंघ राज्य के करीब 170 मिलों का नेतृत्व करता है।
शीरा अभी 4,500 से 5,000 रुपये प्रति टन और शोधित स्पिरिट 26 से 28 रुपये प्रति लीटर मिल रहा है। इससे एथेनॉल उत्पादन घाटे का कारोबार बन गया है। अन्य खर्चों को शामिल कर लें तो एथेनॉल तैयार करने पर प्रति लीटर 31 रुपये की लागत आ रही है।
हालांकि इस उद्योग को उम्मीद है कि उसे भविष्य में मुनाफा होगा। इसलिए चीनी परिसंघ ने सरकार से तेल विपणन कंपनियों और एथेनॉल उत्पादकों के बीच 3 साल का करार करवाने का अनुरोध किया है। नाइकनवारे के मुताबिक, दूसरे और तीसरे वर्ष में जब गन्ने की उपलब्धता बढ़ेगी और शीरा और शोधित स्पिरिट का भाव कम होगा तब उत्पादन लागत में काफी कमी होगी।
जाहिर है तब एथेनॉल का उत्पादन फायदे का सौदा हो जाएगा। उन्होंने कहा कि इससे दूसरे और तीसरे वर्ष में उत्पादकों को मुनाफा होगा। उन्होंने कहा कि पेट्रोलियम मंत्रालय को एथेनॉल की नीलामी प्रक्रिया खत्म कर देनी चाहिए और इसे सीधा उत्पादकों से खरीदा जाए।
फिलहाल तेल विपणन कंपनियां एथेनॉल खरीदने के लिए बोली लगाती हैं। इस साल 68 करोड़ लीटर एथेनॉल की जरूरत थी जबकि तेल कंपनियों को महज 40 फीसदी मात्रा के लिए ही निविदा मिल सकी। महाराष्ट्र में एथेनॉल उत्पादन की क्षमता 58 करोड़ लीटर की है जबकि उसने इस बार महज 50 फीसदी क्षमता का ही दोहन किया।
नाइकनवारे ने कहा कि इस मूल्यवृद्धि से उत्पादक क्षमता का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल को प्रोत्साहित होंगे। उन्होंने पेट्रोलियम मंत्रालय से यह मांग भी है कि जो तेल कंपनी पेट्रोल में न्यूनतम 5 फीसदी एथेनॉल मिश्रण के अनिवार्य नियम को पूरा नहीं करती उसे दंडित किया जाए।
मालूम हो कि सरकार ने 2006 में पेट्रोल में 5 फीसदी एथेनॉल मिलाने को अनिवार्य कर दिया था। अक्टूबर 2007 में इस सीमा को बढ़ाकर 10 फीसदी कर दिया गया। पिछले साल अक्टूबर में इसे अनिवार्य कर दिया गया।
जैवईंधन नीति-2017 में तो इस सीमा को बढ़ाकर 20 फीसदी करने का लक्ष्य रखा गया है। पर अनिश्चित आपूर्ति से 5 फीसदी की सीमा भी पा पाने में मुश्किल आ रही है। (बीएस हिन्दी)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें