25 दिसंबर 2009
नई नीति में फर्टिलाइजर का एमआरपी तय नहीं होगा
फर्टिलाइजर पर सब्सिडी वितरण के तरीके में बदलाव करने जा रही सरकार संभवत: यूरिया, डीएपी और एमओपी का अधिकतम फुटकर मूल्य (एमआरपी) तय नहीं करेगी। एमआरपी तय करने का अधिकार कंपनियों को दिया जा सकता है। एमआरपी तय करने के बजाय फर्टिलाइजर मंत्रालय खेती के लिए आवश्यक सभी पौष्टिक तत्वों (एनपीके) के लिए सब्सिडी तय करेगा। हर साल इन पर देय सब्सिडी की घोषणा की जाएगी। चालू वित्त वर्ष के बजट में पौष्टिकता आधारित सब्सिडी देने के प्रस्ताव पर मंत्रालय ने उद्योग से बातचीत शुरू कर दी है। नई व्यवस्था शुरू होने पर यूरिया, डीएपी और एमओपी के एमआरपी की मौजूदा व्यवस्था खत्म हो जाएगी। इस समय इन दोनों उर्वरकों का एमआरपी तय होता है, भले ही उसका ब्रांड कोई भी हो।सूत्रों के अनुसार अगर नई नीति लागू हो जाती है तो उत्पादकों को दाम तय करने की आजादी होगी जबकि सरकार प्रत्येक पौष्टिक तत्व जैसे नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश के लिए अलग-अलग सब्सिडी की घोषणा करेगी। इस समय फर्टिलाइजर की उत्पादन लागत और बिक्री मूल्य के अंतर के आधार पर सब्सिडी तय होती है। यूरिया पर 483 रुपये, डीएपी पर 935 और एमओपी पर 445।50 रुपये प्रति क्विंटल सब्सिडी दी जा रही है। इनके दाम 2002 से बदले नहीं गए हैं।कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार सब्सिडी वितरण का तरीका बदलने का मकसद खेतिहर जमीन में उर्वरकों का संतुलित उपयोग सुनिश्चित करना है। इस समय किसान सस्ते फर्टिलाइजरों का खेतों में ज्यादा उपयोग करते हैं, भले ही खेतों में इसकी जरूरत हो या न हो। प्रस्ताव के अनुसार फर्टिलाइजर पर सब्सिडी के बारे में फैसला अनुमानित खपत, अंतरराष्ट्रीय मूल्य और देश में लक्षित फुटकर मूल्य को ध्यान में रखकर किया जाएगा। सरकार फर्टिलाइजर के परिवहन खर्च से खुद को अलग करना चाहती है क्योंकि पिछले साल फर्टिलाइजर सब्सिडी का वित्तीय भार बढ़कर एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा हो गया। जबकि इस वित्त वर्ष 2009-10 में सब्सिडी बिल 70 हजार करोड़ रुपये रहने का अनुमान है। सब्सिडी वितरण के तरीके के सवाल पर सूत्रों ने बताया कि इस पर सरकार ने फैसला नहीं किया है कि इसका भुगतान फर्टिलाइजर कंपनियों को किया जाए, या फुटकर विक्रेताओं अथवा सीधे किसानों को किया जाए। नई नीति को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा और प्रत्येक किसान की खेतिहर जमीन और फसल के आधार पर अधिकतम सब्सिडी सीमा भी तय होगी। (बिज़नस भास्कर)
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