29 दिसंबर 2009
चीन की मिलों को महंगा लौह अयस्क लेना होगा
भारत सरकार ने लौह अयस्क निर्यात पर टैक्स का बोझ बढ़ाने का फैसला किया है। इससे भारतीय लौह अयस्क करीब चार-पांच डॉलर प्रति टन महंगा हो जाएगा लेकिन चीन की स्टील कंपनियों के सामने यह वित्तीय भार उठाने के सिवा कोई दूसरा चारा नहीं होगा क्योंकि विश्व बाजार में लौह अयस्क की सप्लाई सीमित है। ऐसे में चीन का उद्योग भारत से लौह अयस्क आयात करता रहेगा।चायना आयरन एंड स्टील एसोसिएशन से संबंधित इंडस्ट्री ट्रेडिंग हाउसेज एंड कंसल्टेंसी फर्म सीयूस्टील, माय स्टील और यूमेटल ने अपनी वेबसाइटों पर कहा है कि भारत के वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने पिछले सप्ताह कहा था कि लौह अयस्क फाइन पर 5 फीसदी निर्यात कर लगाया जाएगा जबकि लौह अयस्क लम्प पर निर्यात कर 5 फीसदी से बढ़ाकर 10 फीसदी किया जाएगा। नई दरें 25 दिसंबर से प्रभावी हो गई हैं। रिपोर्ट के टैक्स की नई दरें लागू होने से भारत के लौह अयस्क की कीमतों में 4 से 5 डॉलर प्रति टन की बढ़ोतरी हो जाएगी। पिछले सप्ताह भारत से आयातित 63।5 ग्रेड लौह अयस्क फाइन की कीमत बढ़कर 120 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गई। वैश्विक आर्थिक संकट के शुरू होने के बाद यह सबसे ज्यादा कीमत है।रिपोर्ट में कहा गया है कि लौह अयस्क की कमजोर आपूर्ति के कारण चीन की मिलों के पास बढ़े हुए टैक्स का बोझ सहन करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। सीयूस्टील और मायस्टील दोनों का कहना है कि हाल ही में हुए सौदों में भारतीय निर्यातकों ने यह शर्त जोड़ दी थी कि यदि भारत सरकार दरों में बढ़ोतरी करती है तो यह चीन मिलों को ही वहन करना होगा। उनका कहना है कि यह स्थिति न तो चीन की मिलों के लिए ठीक है और न ही 2010 के लिए लौह अयस्क की बेंचमार्क कीमत पर जारी बातचीत के लिए शुभ है। लौह अयस्क के हाजिर भाव और 2009 की बेंचमार्क कीमतों के बीच पहले ही 40 डॉलर प्रति टन का अंतर है। चीन 2010 के लिए लौह अयस्क की बेंचमार्क कीमतों के लिए विश्व की प्रमुख खनन कंपनियों से बातचीत कर रहा है। कंपनियां कीमतों में 20 फीसदी की बढ़ोतरी करने की तैयारी कर रही हैं, जबकि पिछले वर्ष 33 फीसदी तक का डिस्काउंट (वर्ष 2008 के उच्च मूल्य पर) दिया गया था। (बिज़नस भास्कर)
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