मुंबई December 30, 2009
देश के विभिन्न इलाकों से बीटी बैगन के बढ़ते विरोध के बीच केंद्रीय पर्यावरण और वन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जयराम रमेश ने बातचीत के लिए जनवरी में देशव्यापी दौरे की योजना बनाई है।
जनवरी के पहले हफ्ते से एक महीने के इस दौरे के दौरान वे वैज्ञानिकों, कृषि विशेषज्ञों, कृषि संगठनों, उपभोक्ता समूहों और एनजीओ प्रतिनिधियों से विचार-विमर्श करेंगे। रमेश बीटी बैगन पर जेनेटिक इंजीनियरिंग एप्रूवल कमेटी (जीईएसी) की अक्टूबर में पेश रिपोर्ट पर लोगों से बात करेंगे।
गौरतलब है कि जीईएसी ने बीटी बैगन को पर्यावरण के लिए सुरक्षित बताया था। परिणाम आधारित मंजूरी व्यवस्था (ईबीएएम) के अनुसार यह समिति बीटी बैगन के सभी हाइब्रिडों और किस्मों को मंजूर करने पर विचार कर सकती है। जानकार सूत्रों ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि रमेश ने कहा है कि राष्ट्रीय और लोक हित में इस बातचीत को उचित निर्णय पर पहुंचाना जरूरी है।
मनुष्यों के लिए बीटी बैगन के इस्तेमाल को मंजूरी विचार-विमर्श की यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही दी जाएगी। जीईएसी का इस रिपोर्ट में कहना है कि जैव सुरक्षा के लिहाज से बीटी बैगन इवेंट ईई-1 को काफी जांचा गया है। और अब किसी अतिरिक्त जांच की जरूरत नहीं है।
जीईएसी का यह भी कहना है कि नियामकीय प्रणाली एक गतिशील प्रक्रिया है जिसमें वैज्ञानिक विकास और साक्ष्यों के आधार पर लगातार संशोधन होना चाहिए। इसलिए मामला दर मामला अतिरिक्त अध्ययन करने और जैव सुरक्षा मूल्यांकन के दौरान मिले आंकड़ों पर विचार किए जाने की जरूरत है।
जीईएसी के अनुसार, कल्पित चिंताओं और आशंकाओं के चलते नियामकीय प्रक्रिया का मानदंड कड़ा करना कृषि जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान और विकास (विशेषकर सार्वजनिक संस्थानों और समाज के लिए) के लिए काफी हानिकारक है। जीईएसी ने इसके अलावा कहा कि महिको ने बीटी बैगन इवेंट ईई-1 में जिन 3 जीनों (सीआरवाई1एसी, एनपीटीएलएल और एएडी) का प्रवेश किया है, उसका दुनिया भर में वैज्ञानिकों ने विस्तृत अध्ययन किया है।
बीटी मक्का, बीटी आलू और बीटी कपास के मामले में यह अध्ययन हुआ है। नियामकीय एजेंसियों ने मूल्यांकन के बाद इसे मान्यता दी है। इन सभी जीनों का अनुभव बताता है कि इनका इस्तेमाल सुरक्षित है। सीआरवाई1एसी जीन का फसल पर असर अंत तक रहता है। इसमें मौजूदा सीआरवाई1एसी का स्तर प्रोटीन विभिन्न जलवायवीय हालात में पनपने वाले कीटों की प्रभावी रोकथाम में कारगर है।
हालांकि सेंटर फॉर फूड सिक्योरिटी ऐंड सस्टेनेबल एग्री बिजनेसेज के सलाहकार विजय सरदाना कहते हैं कि मनुष्यों के लिए बीटी बैगन के इस्तेमाल को मंजूरी देने में सरकार को जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। सरदाना के अनुसार, 'उनका संस्थान प्रौद्योगिकी के खिलाफ नहीं है पर इसका उचित आकलन और मूल्यांकन होना जरूरी है। सरकार को सभी जांच रिपोर्टों को अपनी वेबसाइट पर डालना चाहिए।'
सरकार को यह साफ करना चाहिए कि क्या बीटी बैगन का मूल्यांकन नवजातों और एलर्जी पीड़ित मरीजों के लिहाज से भी किया गया है नहीं। यह भी बताना चाहिए कि क्या कृषि मंत्रालय, पर्यावरण व वन मंत्रालय और खाद्य सुरक्षा प्राधिकरण ने ऐसे पौधों के सुरक्षा पहलुओं को देखा है या नहीं।
नई कोशिश
पर्यावरण एवं वन राज्य मंत्री जयराम रमेश ने बीटी बैगन पर लोगों की राय जानने के लिए जनवरी में देशव्यापी दौरे की योजना बनाईकृषि विशेषज्ञों, कृषि संगठनों, उपभोक्ता समूहों, एनजीओ प्रतिनिधियों से होगी जेनेटिक इंजीनियरिंग एप्रूवल कमेटी की रिपोर्ट पर बातचीत (बिसनेस भास्कर)
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