वर्ष 2009 में कृषि जिंसों की आसमान छूती कीमतों ने तोड़ दिए तमाम पुराने रिकॉर्ड, सरकारी ढिलाई से आम आदमी की जेब पर हुआ इसका ज़बरदस्त असर
मुंबई December 31, 2009
मॉनसून की बेरुखी से इस साल जरूरी जिंसों की पैदावार पर असर पड़ा।
मांग की तुलना में कम आपूर्ति के अर्थशास्त्र के क्लासिक सिद्धांत के हिसाब से कीमतें बढ़ना ऐसे में लाजिमी ही था। लेकिन इस साल कीमतें केवल बढ़ी ही नहीं बल्कि बढ़ोतरी के मामले में जिंसों ने नए रिकॉर्ड ही कायम कर दिए।
साल भर जिंसों की कीमतें 10 से 170 फीसदी तक ऊपर चली गईं। जिंसों के कीमतों में अभूतपूर्व परिवर्तन से पैदा हुई महंगाई ग्राहकों के लिए कमर तोड़ बन गई दूसरी ओर कारोबारियों ने इस दौर में जमकर माल कमाया। हालांकि रबी सीजन में अच्छी पैदावार होने के संकेत से दिसंबर से कीमतों में गिरावट शुरू हो गई है जो आगे भी जारी रहने की उम्मीद की जा रही है।
हल्दी ने बदला रंग
वर्ष 2009 के दौरान कृषि जिंसों में सबसे ज्यादा कीमत बढ़ोतरी हल्दी में हुई। इस साल हल्दी की कीमत में 165 फीसदी से ज्यादा का इजाफा दर्ज किया गया। अब तक के सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए हल्दी 17 नवंबर को प्रति क्विंटल 14,000 रुपये तक पहुंच गई। हालांकि नई फसल अच्छी होने की खबर से इस समय हल्दी की कीमतों में गिरावट दिख रही है।
हल्दी की सबसे बड़ी थोक मंड़ी निजामाबाद में इस समय हल्दी 10,700 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर मिल रही है। इस बार हल्दी का उत्पादन भी पिछले साल के 41 लाख बैग की तुलना में 52 लाख बैग होने की उम्मीद की जा रही है। जनवरी में नई फसल बाजार में आना शुरू हो जाएगी।
जीरे ने लगाया छौंक
हल्दी की तरह दूसरे मसालों की भी कीमतें रिकॉर्ड बनाती रहीं। जीरे की कीमतों में इस साल 36 फीसदी और काली मिर्च में 33 फीसदी से भी ज्यादा का इजाफा हुआ है।
फरवरी-मार्च में आने वाली जीरे की नई फसल में उत्पादन बढ़ने की उम्मीद की जा रही है पिछले साल 23 लाख बैग की जगह इस बार 24-25 लाख बैग का उत्पादन होने की बात कही जा रही है। वहीं काली मिर्च का उत्पादन पिछले साल की अपेक्षा 10 फीसदी ज्यादा होने का अनुमान लगाया जा रहा है।
चने की कीमतों में इस साल तकरीबन 20 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई। जनवरी में 2,000 रुपये प्रति क्विंटल बिकने वाला चना दिसंबर आते-आते 2,600 रुपये प्रति क्विंटल से भी ऊपर पहुंच गया। चने की मजबूती को देखते हुए किसानों ने इस बार जम कर बुआई की है।
इस बार चने की बुआई 77 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल पर की गई है जबकि पिछले साल 72 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में चना बोया गया था। चने के रकबे में बढ़ोतरी और मौसम अच्छा होने के कारण इस बार 72 से 74 लाख टन चने की पैदावार होने की उम्मीद की जा रही है।
सरकार ने दिखाई सुस्ती
सोयाबीन की पैदावार कम होने और आयात पर निर्भरता बढ़ने की वजह से इस दौरान सोयाबीन की कीमतों में भी लगभग 22 फीसदी का इजाफा हुआ।
सोयाबीन उत्पादक देशों में इस बार सोयाबीन की फसल सही होने और भारत में मांग में कमी आने की वजह से आने वाले समय में इन जिंसों की भी कीमतों में थोड़ी नरमी आने के असर दिखाई दे रहे हैं।
खाद्यान्नों में सबसे प्रमुख जिंस गेहूं की अच्छी पैदावार होने और सरकार द्वारा रिकॉर्ड खरीदारी करने के बावजूद 2009 में इसके भाव 20 फीसदी तक चढ़े। इसकी मुख्य वजह सटोरियों की सक्रियता और सरकार की ढुलमुल नीति को माना जा रहा है।
जिंस विशेषज्ञों का कहना है कि साल भर कृषि जिंसों की कीमतों से परेशान लोगों को नए साल में थोड़ी राहत जरुर मिलेगी क्योंकि रबी सीजन में अच्छी बुआई होने के कारण इस बार इन फसलों का रकबा बढ़ा है। शेयरखान कमोडिटी रिसर्च के प्रमुख मेहुल अग्रवाल का मानना है कि जनवरी के दूसरे सप्ताह से नई फसलें आने लगेंगी। मार्च तक बाजार में नई फसलों की अच्छी आवक होने लगेगी।
कृषि जिंसों की कीमतों पर ऐंजल ब्रोकिंग के सीएमडी दिनेश ठक्कर का कहना है कि 2009 में कृषि जिंसों की कीमतें साल भर ऊपर की ओर जाती रहीं और यही वजह है कि पांच दिसंबर को खत्म हुए सप्ताह को खाद्य पदार्थो की महंगाई दर पिछले 10 सालों का रिकॉर्ड तोड़ते हुए 19.95 फीसदी पर पहुंच गई।
कीमतों में बढ़ोतरी की वजह उत्पादन कम होना ही रहा है। भाव में कमी किस हद तक होती है यह रबी सीजन में होने वाले उत्पादन पर निर्भर करेगा जो फरवरी और मार्च के बाद ही पता चल पाएगा।
किसके भाव में कितना ताव
जिंस भाव 1 जनवरी 29 दिसबरचना 2100 2485जीरा 10715 14590काली मिर्च 10712 4262हल्दी 3845 10206सोयाबीन 1940 2362सरसों 2975 2938अरंडी बीज 2547 2861गेहूं 1180 1407भाव रुपये प्रति क्विंटल में
मुश्किलों में गुज़रा साल
जिंसों की कीमतों में 10 से 170 फीसदी इज़ाफाहल्दी ने तोड़े सारे रिकॉर्ड, हुई 165 फीसदी महंगीआयात पर निर्भरता की वजह से सोयाबीन भी उछलाइसलिए खाने-पीने की महंगाई दर भी पहुंची 20 फीसदी के पास
नया बरस तो होगा सरस
इस बार रबी में पैदावार अच्छी रहने के आसारदिसंबर में ही भाव हुए ठंडेजनवरी से आएंगी नई फसलमसालों का उत्पादन ज्यादा होने की (बीएस हिन्दी) उम्मीद
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