24 दिसंबर 2009
चीनी निर्यात के लिए मिलों को एक साल की मोहलत : पवार
चीनी मिलों को पिछले वर्षो में आयात की गई शुल्क मुक्त रॉ शुगर के एवज में चीनी निर्यात करने के लिए एक साल का समय और दिया जाएगा। कृषि मंत्री शरद पवार का कहना है कि चीनी मिलों को निर्यात प्रतिबद्धता पूरी करने के लिए समय दिया जाएगा ताकि वे मौजूदा उत्पादित चीनी को घरेलू बाजार में बेच सकें और यहां की मांग पूरी हो सके।भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) सोसाइटी के 81वें वार्षिक कार्यक्रम के दौरान कृषि मंत्री ने यह जानकारी दी। एडवांस लाइसेंस स्कीम (एएलएस) के तहत चीनी मिलों ने वर्ष 2004-05 में विदेश से 21।4 लाख टन रॉ शुगर आयात की थी। इस आयातित रॉ शुगर के एवज में चीनी मिलों को 31 दिसंबर 2009 तक बराबर मात्रा में चीनी निर्यात करनी है। पिछले वषों में इन मिलों ने अभी आधी चीनी ही निर्यात की है। कृषि मंत्रालय ने चीनी मिलों को निर्यात प्रतिबद्धता से एक वर्ष की छूट देने की मांग की है, लेकिन वाणिज्य मंत्रालय एएलएस की शतोर्ं के अनुसार चीनी निर्यात के लिए और समय समय देने को तैयार नहीं है।शरद पवार का कहना है कि देश में खाद्य पदार्थे की बढ़ती कीमतों में चीनी की तेजी का योगदान करीब 20 फीसदी है। उनका कहना है कि चीनी की कमी से निपटने और इसके मूल्य को नियंत्रण में रखने के लिए चीनी का निर्यात कुछ समय के लिए टालना जरूरी है। पवार ने कहा कि वाणिज्य मंत्रालय द्वारा आपत्ति की उन्हें जानकारी नहीं है। इस प्रस्ताव का विरोध होने पर आर्थिक मामलों की मंत्रीमंडलीय समिति इस मुद्दे पर फैसला लेगी। कृषि मंत्री का कहना है कि मिलों को अगले साल दिसंबर तक की मोहलत मिल जाएगी। कृषि राज्य मंत्री के. वी. थॉमस ने इस समारोह में कहा कि देश की बढ़ती युवा आबादी को पोषक खाद्य वस्तुएं उपलब्ध कराना आवश्यक है। उनका कहना है कि प्रोटीनयुक्त भोजन की मांग बढ़ेगी और इस क्षेत्र में अधिक शोध की जरूरत है। इस मौके पर आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. मंगला राय ने कहा कि परिषद के 13 संस्थानों ने पेटेंट के लिए 50 अर्जियां दी हैं। उनका कहना है कि देश में कृषि अनुसंधान के क्षेत्र में परिषद तेजी से अपनी क्षमता विकसित कर रही है और इसी उद्देश्य से देश में पहली एक वर्ष में प्रवेश स्तर पर 430 से भी अधिक कृषि वैज्ञानिकों का चयन किया गया है। (बिज़नस भास्कर)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें