22 दिसंबर 2009
चीनी उद्योग ने फिर उठाई नियंत्रण हटाने की मांग
चीनी उद्योग ने सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने की मांग फिर से दोहराई है लेकिन गन्ना क्षेत्र आरक्षित करने के मुद्दे पर चुप्पी साध ली। सरकार ने मिलों के लिए 15 किलोमीटर के दायरे में गन्ना खरीद की सीमा तय कर रखी है। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के अध्यक्ष समीर सोमैया ने सोमवार को दिल्ली में पत्रकारों से कहा कि आयातित चीनी पर न तो आयातकों को लेवी देनी पड़ती है और न ही स्टॉक सीमा लागू है। जबकि देश में चीनी की 60-65 फीसदी खपत औद्योगिक उपभोक्ताओं द्वारा की जाती है। इसलिए औद्योगिक उपभोक्ता अब घरेलू चीनी की खरीद के बजाय आयात को प्राथमिकता दे रहे हैं।उन्होंने कहा कि भारत को घरेलू आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए और 20 लाख टन चीनी वर्ष 2009-10 में आयात करनी होगी। चालू पेराई सीजन वर्ष 2009-10 में अभी तक 38 लाख टन चीनी के आयात सौदे हो चुके हैं तथा करीब 18 लाख टन भारतीय बंदरगाहों पर पहुंच भी चुकी है।उन्होंने बताया कि सीजन के शुरू में आयातित चीनी का बकाया स्टॉक 15 लाख टन था। ऐसे में आयातित चीनी की कुल उपलब्धता 53 लाख टन होगी। बकाया स्टॉक में 13.5 लाख टन रॉ-शुगर (गैर-रिफाइंड चीनी) और 1.5 लाख टन व्हाइट चीनी है। चालू पेराई सीजन वर्ष 2009-10 (अक्टूबर से सितंबर) के दौरान चीनी का उत्पादन 160 लाख टन से कम होने की संभावना हैं। ऐसे में भारत को कुल आवश्यकता की पूर्ति के लिए करीब 20 लाख टन चीनी का और आयात करना पड़ेगा। इस्मा के उपाध्यक्ष विवेक सरावगी ने कहा कि मिलों को 20 फीसदी चीनी लेवी के रूप में देनी पड़ती है जबकि मिलों को चालू पूराई सीजन में गन्ने की खरीद 200-210 रुपये प्रति क्विंटल की दर से करनी पड़ रही है इसलिए मिलों को चीनी की उत्पादन लागत करीब 30-31 रुपये प्रति किलो पड़ रही है। इस समय उत्तर प्रदेश में चीनी के दाम एक्स-फैक्ट्री 32-34 रुपये प्रति किलो चल रहे हैं। पिछले साल इन दिनों फुटकर बाजार में चीनी के दाम 21-22 रुपये प्रति किलो चल रहे हैं जबकि इस समय दाम 36-37 रुपये प्रति किलो चल रहे हैं। समीर सोमैया ने कहा कि घरेलू बाजार में चीनी के दाम अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेजी आने से बढ़े हैं। उन्होंने कहा कि चालू सीजन में किसानों को गन्ने का अच्छा दाम मिला है जिससे आगामी सीजन में गन्ने का बुवाई क्षेत्रफल बढ़ने की संभावना है। ऐसे में उम्मीद है कि 2010-11 में देश में चीनी का उत्पादन खपत के बराबर ही हो सकता है। (बिज़नस भास्कर.....आर अस राणा)
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