30 दिसंबर 2009
टायर उद्योग में खपत बढ़ने की संभावना से रबर में तेजी
चालू वित्त वर्ष में नेचुरल रबर में टायर उद्योग की मांग सात फीसदी बढ़ने की संभावना है। पिछले साल टायर उद्योग में नेचुरल रबर की कुल खपत 5।08 लाख टन रही थी जबकि चालू वित्त वर्ष के पहले आठ महीनों में 3.56 लाख टन खपत हो चुकी है। टायर उद्योग की मांग तो बढ़ रही है लेकिन चालू वित्त वर्ष में अभी तक देश में नेचुरल रबर के उत्पादन में 6.5 फीसदी की कमी आई है जिसके कारण घरेलू बाजार में नेचुरल रबर की कीमतें बढ़कर 134-140 रुपये प्रति किलो के स्तर पर पहुंच गई हैं।आटोमेटिव टायर मैन्यूफैक्चर्स एसोसिएशन (एटमा) के महानिदेशक राजीव बुद्धिराजा ने बताया कि वर्ष 2009-10 में टायर उद्योग की मांग में सात फीसदी का इजाफा होने की संभावना है। चालू वित्त वर्ष के अप्रैल से नवंबर तक टायर उद्योग में नेचुरल रबर की खपत 356,400 टन की हो चुकी है जबकि पिछले वर्ष में कुल खपत 5.08 लाख टन की हुई थी। कुल उत्पादन की करीब 60 फीसदी खपत टायर उद्योग में होती है तथा टायर उद्योग की मांग लगातार बढ़ रही है। टायर उद्योग की नेचुरल रबर में मांग बढ़ने और उत्पादन कम होने के कारण नेचुरल रबर की कीमतों में पिछले एक साल में 118 फीसदी की बढ़ोतरी हो चुकी है। इस समय कोट्टायम में नेचुरल रबर आरएसएस-4 के भाव बढ़कर 140 रुपये और आरएसएस-5 के भाव 134 रुपये प्रति किलो हो गए हैं जबकि पिछले साल इस समय भाव 62-64 रुपये प्रति किलो थे।उन्होंने बताया कि अप्रैल से नवंबर तक भारत में नेचुरल रबर का आयात बढ़कर भी 1.32 लाख टन तक पहुंच गया है जोकि पिछले साल के 60,026 टन से ज्यादा है। आयातित रबर पर 20 फीसदी आयात शुल्क है तथा टायरों के आयात पर 8.6 फीसदी का आयात शुल्क लगता है। चूंकि विदेश में भी नेचुरल रबर के भाव बढ़े हैं इसलिए अब विदेशी नेचुरल रबर के आयात पड़ते भी नहीं लग रहे हैं। इस समय सिंगापुर कमोडिटी एक्सचेंज (सीकॉम) में नेचुरल रबर की कीमतें बढ़कर 132-133 रुपये प्रति किलो (भारतीय मुद्रा में) हो गई हैं।भारतीय रबर बोर्ड के मुताबिक चालू वित्त वर्ष के अप्रैल से नवंबर तक नेचुरल रबर का उत्पादन 6.5 फीसदी घटकर 5.38 लाख टन हुआ है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 5.76 लाख टन का हुआ था। इस दौरान इसकी कुल खपत 3.6 फीसदी बढ़कर 6.15 लाख टन की हुई है। इस समय देश में नेचुरल रबर का कुल स्टॉक 2.47 लाख टन का है जोकि पिछले साल 1.75 लाख टन का था। मैसर्स हरिसंस मलयालम लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर पंकज कपूर ने बताया कि इस समय रबर का पीक सीजन चल रहा है। जबकि 15 जनवरी के बाद उत्पादन कम होने लगेगा। ऐसे में सुस्त सीजन में नेचुरल की कीमतों में और भी तेजी की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।rana@businessbhaskar.net (बिज़नस भास्कर....आर अस राणा)
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