26 दिसंबर 2009
यूपी, पंजाब की सप्लाई बढ़ने से आलू मंे नरमी
नई फसल के आलू की सप्लाई बढ़ते ही मध्य प्रदेश की मंडियों में दाम गिरने लगे हैं। प्रीमियम किस्म के स्थानीय आलू के साथ ही सामान्य किस्मों का दूसरे राज्यों के आलू की आवक बढ़ने से इसके दाम में गिरावट का रुख बन गया है। नए आलू की बाजार में आवक बढ़ने के साथ ही पिछले दो हफ्तों में आलू के दाम में चालीस फीसदी तक की कमी आ गई है। मध्य प्रदेश की इंदौर मंडी में प्रीमियम किस्म के स्थानीय आलू के थोक भाव कम होकर ख्क्क्क्-ख्ख्फ्म् रुपये प्रति क्ंिवटल के स्तर पर आ गए हैं। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश और पंजाब से आने वाले आलू के दाम गिरकर त्तम्क् रुपये प्रति क्विंटल तक हो गए हैं। इस महीने की शुरूआती हफ्ते में स्थानीय आलू के थोक भाव ख्भ्क्क्-ख्त्तक्क् रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर थे। पिछले पंद्रह दिनों में बाजार में नए आलू की आवक शुरू होने से दाम त्तक्क् रुपये प्रति क्विंटल तक कम हो गये हैं। फिलहाल मंडियों में भ्क् गाड़ी नए आलू की आवक हो रही है। आवक के बढ़़ने के साथ ही दामों में नरमी का रुख देखने को मिलेगा। इंदौर के आलू व्यापारी संध के अध्यक्ष मुरली हरियाणी ने बिजनेस भास्कर को बताया कि स्थानीय आलू की आवक बढ़ने के साथ ही पिछले दो सप्ताह में पंजाब और उत्तर प्रदेश का आलू भी काफी मात्रा में आने लगा है। इसी के चलते आलू के दामों में नरमी का रुख बना। हालांकि पिछले साल से दाम अभी भी ऊंचे हैं। पिछले साल इन दिनों आलू के दाम दो-तीन रुपये प्रति किलो फुटकर में बिक रहा था। यहां के स्थानीय आलू की आवक शुरू होते ही चिप्स बनाने वाली कंपनियां ्रखरीद के लिए सक्रिय हो गई हैं। मालवा के आलू में शर्करा की मात्रा कम होने के कारण चिप्स कंपनियों की ओर से इसकी खरीद की जाती है। यहां का ज्यादातर आलू चिप्स बनाने के लिए कंपनियां खरीद लेती हैं। स्थानीय उपभोग के लिए केवल दस फीसदी ही इस आलू का उपयोग होता है। फ्रेश-ओ-वेज के निदेशक रुद्र प्रताप सिंह कहते है कि मध्य प्रदेश के बाजार में स्थानीय खपत के लिए ज्यादातर आलू पंजाब और उत्तर प्रदेश से मंगाया जाता है। बाजार में इसकी सप्लाई बढ़ने से ही आलू की कीमतों में कमी देखने को मिली है। मध्य प्रदेश में इस साल आलू का बुवाई क्षेत्रफल 8क्क्क्क् हैक्टेयर पहुंच गया है। पिछले साल यह स्त्रस्त्रख्8ब् हैक्टेयर था। पिछले साल मध्य प्रदेश में आलू का उत्पादन 8।8ब् लाख टन रहा था जो वर्ष फ्क्क्त्त-क्8 के त्त.ख्ब् लाख टन था। (बिज़नस भास्कर)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें