चंडीगढ़ December 29, 2009
आर्थिक मंदी से बुरी तरह प्रभावित हुईं पंजाब की कताई मिलें अब अपनी क्षमता का अधिकाधिक उपयोग करने में जुट गई हैं।
इससे राज्य में कपास भी अब तक के सर्वोच्च स्तर 3,300-3,350 रुपये प्रति क्विंटल पर बिकने लगा है, जबकि इसकी एमएसपी 2,800 रुपये प्रति क्विंटल ही है। विदेशी खरीदारों से ऑर्डर मिलने को लेकर आशान्वित विनसम इंडस्ट्रीज के निदेशक आशीष बगरोड़िया ने कहा कि वे 90 फीसदी से ज्यादा सूत अंतरराष्ट्रीय बाजारों को निर्यात करते हैं।
बाकी के सूत गारमेंट निर्माताओं को बेच दिया जाता है। पिछले साल सुस्ती के चलते इसकी मांग काफी घट गई थी। उन्हें क्षमता का और उपयोग होने की उम्मीद है क्योंकि खरीदार इस बारे में इच्छुक दिख रहे हैं।
लागत के बारे में उन्होंने कहा पिछले साल भर में कपास की लागत में 40 फीसदी की उछाल आई। उनके मुताबिक लागत काफी बढ़ने से मुसीबतें काफी बढ़ गई थीं क्योंकि बढ़ी लागत को उपभोक्ताओं तक पहुंचाना मुश्किल था।
पंजाब के प्रमुख सूत निर्यातक चीमा स्पिनटेक्स के हरदयाल सिंह चीमा ने बताया, 'इस साल बेहतर परिदृश्य से हम 30 से 35 फीसदी वृद्धि को खरीदारों तक पहुंचाने में सफल रहे हैं। यह उत्साहजनक माहौल है।' उन्होंने बताया कि पंजाब का समूचा कपड़ा उद्योग घाटे में था। मांग में जबरदस्त कमी, कपास की ऊंची कीमत और सूत की कीमत इसकी वजह रही।
चीमा ने बताया कि भारतीय कारोबारी इस बार फायदे में रहेंगे क्योंकि पूरी दुनिया में इस बार कपास की जबरदस्त किल्लत है। उनके मुताबिक, 'गारमेंट के प्रमुख निर्माता चीन और बांग्लादेश सूती धागे के प्रमुख आयातक हैं। खराब मौसम के चलते पूरी दुनिया में इस साल कपास का उत्पादन प्रभावित हुआ है।
ऐसे में भारतीय कंपनियों द्वारा तैयार सूत की पूरी दुनिया में मांग रहेगी।' पंजाब सरकार अब दूसरे राज्यों से आने वाले कपास पर लग रहे 4 फीसदी प्रवेश शुल्क को भी खत्म करने जा रही है। (बीएस हिन्दी)
29 दिसंबर 2009
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