मुंबई December 04, 2009
देश में सोने का आयात पिछले एक दशक के न्यूनतम स्तर तक चला गया है। दाम में आई तेज उछाल से इसकी मांग में भारी कमी हुई है।
मौजूदा कैलेंडर वर्ष में सोने का आयात करीब 380 टन रहने का अनुमान है। 1997 से उपलब्ध आंकड़े बताते हैं कि तब से अब तक देश में सोने का आयात कभी भी 400 टन से कम नहीं रहा। इसके बजाय देश में सोने की मांग हर साल करीब 600 से 800 टन रही है।
वैसे 2002-2003 के दौरान इसका आयात सिमटकर 500-550 टन रह गया था। भारतीय सर्राफा बाजार संघ (आईबीएमए) के आंकड़ों के अनुसार, पिछले कैलेंडर वर्ष यानी 2008 में सोने का आयात 2007 के 757 टन की तुलना में घटकर 413 टन रह गया था।
आईबीएमए में वरिष्ठ विश्लेषक ने बताया, 'पिछले दो साल में सोने के आयात में हुई तेज गिरावट का जिम्मेदार अस्थिर रुपया और महंगाई रहा।' भारत इसके बावजूद सोने के बड़े उपभोक्ताओं में शामिल है। इसकी ज्यादातर मांग आयात से पूरी होती है। इसलिए सोने में तेजी बनी हुई है। वहीं सोने का घरेलू भाव आयात की लागत से तय होती है।
आयात में संलग्न एक विदेशी बैंक के अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, 'जौहरी और सोना कारोबारी सोने का आयात नहीं करेंगे, यदि उन्हें लगता है कि रुपया मजबूत हो रहा है। विदेशों में सोने के दाम बढ़ने के बावजूद यहां आयात लागत घटने के चलते सोने की स्थानीय कीमत घटेगी।'
बांबे सर्राफा संघ (बांबे बुलियन एसोसिएशन) के अध्यक्ष सुरेश हुंडिया ने बताया, 'ऊंचे दाम के चलते सोने की मांग प्रभावित हुई है। मौजूदा वित्त वर्ष में सोने का आयात करीब 380 टन रह सकता है। इसके आयात में तभी तेजी होगी, जब इसकी कीमत में थोड़ी कमी हो। लोगों ने मान लिया है कि उन्हें सोने की ज्यादा कीमत देनी ही होगी।'
2009 में अब तक सोने के दाम में 34 फीसदी की उछाल हुई है और यह 18,210 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गया है। हालांकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसमें 38।4 फीसदी की बढ़त हुई है और यह 1,217 डॉलर प्रति औंस हो गया है। केडिया कमोडिटीज के अजय केडिया ने बताया, 'बतौर सुरक्षित निवेश सोने की मांग में तेज उछाल हुई है। इस वजह से सोने की कीमत में जोरदार तेजी हुई है।' (बीएस हिन्दी)
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