नई दिल्ली December 01, 2009
गन्ने पर पहले किसान लड़े और अब चीनी मिलों की बारी है।
दरअसल गन्ने की आपूर्ति कम होने और चीनी के भाव दिनोंदिन बढ़ने की वजह से उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों ने पेराई शुरू होते ही कीमतों की जंग छेड़ दी है। इस होड़ में मिल मालिक पिछले हफ्ते हुए समझौते में तय दाम 190-195 रुपये प्रति क्विंटल से भी 10 रुपये प्रति क्विंटल ज्यादा देने को तैयार हैं।
चीनी उत्पादन के मामले में देश में उत्तर प्रदेश का नंबर दूसरा है, पहले नंबर पर महाराष्ट्र है। बलरामपुर चीनी और बजाज हिंदुस्तान जैसी देश की दिग्गज चीनी कंपनियों ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपने संयंत्र लगाए हुए हैं।
किसानों की मौज
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ, मुजफ्फरनगर और सहारनपुर की कई चीनी मिलें तो किसानों को 200-205 रुपये प्रति क्विंटल की दर से भुगतान कर रही हैं।
सरकार ने 165-170 रुपये प्रति क्विंटल राज्य परामर्श मूल्य निर्धारित किया था। लेकिन महेंद्र सिंह टिकैत और वी एम सिंह के नेतृत्व में आंदोलन कर रहे किसान चीनी के दाम में बढ़ोतरी होने के कारण 280 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से गन्ना बेचने की मांग पर अड़े हुए थे।
पिछले साल मिलों ने 140-145 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) का भुगतान किया था। लेकिन सितंबर 2009 तक गन्ने के उत्पादन में 43 फीसदी की गिरावट और चीनी के दाम में 100 फीसदी की बढ़ोतरी को देखते हुए किसान गन्ने की अधिक कीमत की मांग कर रहे थे।
इससे ज्यादा नहीं
गन्ना किसानों को खुश करने के लिए उत्तर प्रदेश चीनी मिल संगठन (यूपीएसएमए) ने किसानों को एसएपी से ऊपर 25 रुपये प्रति क्विंटल का भुगतान करने की बात पर सहमति जताई थी।
यह पहली बार था जब उद्योग ने आधिकारिक तौर पर किसानों को बोनस देने की घोषणा की थी। लेकिन इस घोषणा के बाद भी कई चीनी मिलों को पर्याप्त मात्रा में गन्ने की आपूर्ति नहीं हो पाई है। इसी कारण कई मिलें गन्ना किसानों को 200-205 रुपये प्रति क्विंटल का भुगतान करने को भी तैयार हैं।
फिलहाल चीनी की कीमत 3300-3400 रुपये प्रति क्विंटल है। मौजूदा हालात पर चर्चा के लिए यूपीएसएमए ने मंगलवार को बैठक भी बुलाई थी। लेकिन 3 घंटे की बातचीत में फैसला नहीं हो पाया, इसलिए कल भी बैठक होगी। (बीएस हिन्दी)
03 दिसंबर 2009
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