04 दिसंबर 2009
बाममती के एमईपी में निर्यातकों को कमीशन की छूट नहीं मिलेगी
बासमती चावल निर्यातकों को न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) पर मिलने वाली छूट जल्द ही समाप्त हो सकती है। अभी तक निर्यातकों को 12.5 फीसदी विदेशी कमीशन एमईपी में शामिल करने की छूट मिलती थी। इस तरह उन्हें घोषित एमईपी से 12.5 फीसदी कम न्यूनतम भाव पर निर्यात करने की सुविधा मिल जाती थी। लेकिन अब इस सुविधा के खत्म होने पर उन्हें 12.5 फीसदी ऊंचे न्यूनतम मूल्य पर निर्यात की अनुमति होगी। हालांकि निर्यातकों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में बासमती चावल का दाम ऊंचा होने के कारण इससे निर्यात पर कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ेगा।खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि निर्यातकों को एमईपी में 12.5 फीसदी विदेशी कमीशन जोड़ने की छूट खत्म हो जाएगी। एक अंतर मंत्रालय पैनल ने छूट वापस लेने काफैसले किया है। इस संबंध में औपचारिक आदेश जल्द ही जारी होने की उम्मीद है। हालांकि निर्यातकों का कहना है कि सरकार का यह फैसला निर्यात को प्रभावित नहीं करेगा क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भाव पहले ही 950 डॉलर प्रति टन से ऊपर हैं।देश के प्रमुख बासमती निर्यातक तिलडा राइसलैंड के डायरेक्टर आर. एस. शेषाद्री ने कहा कि बासमती निर्यात पर कोई असर नहीं पड़ेगा। बाजार में आज की कीमत के आधार पर बासमती चावल 1,000 डॉलर प्रति टन से कम पर नहीं बेचा जा सकता। अप्रैल से नवंबर तक देश से 15 लाख टन बासमती चावल निर्यात के सौदे किए गए हैं। वहीं, मार्च 2009 में समाप्त पिछले वित्त वर्ष में कुल 15 लाख टन बासमती निर्यात किया गया था। अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय निर्यातकों को पाकिस्तान से मिल रही कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करने के लिए सितंबर में बासमती का न्यूनतम निर्यात मूल्य 1,100 डॉलर प्रति टन से घटाकर 900 डॉलर प्रति टन कर दिया गया था। फिलहाल छूट के बाद निर्यातकों के लिए व्यावहारिक एमईपी 788 डॉलर प्रति टन पड़ता है। मानसून कमजोर रहने के कारण इस वर्ष चावल उत्पादन घट सकता है। खरीफ सीजन का चावल उत्पादन गत वर्ष के मुकाबले 18 फीसदी कम रहने की संभावना जताई गई है। सूत्रों का कहना है कि सरकार बासमती के नाम पर सामान्य चावल के निर्यात की किसी भी संभावना को खत्म करना चाहती है। छूट खत्म होने के बाद व्यावहारिक एमईपी 900 डॉलर प्रति टन हो जाएगा। इतने ऊंचे भाव पर सामान्य चावल के निर्यात की गुंजाइश खत्म हो जाएगी। देश में सूखे के कारण सामान्य चावल का उत्पादन गिरने की संभावना के बात सरकार काफी सतर्क है। हालांकि ताजा आंकलन के अनुसार सामान्य चावल के उत्पादन में गिरावट कम रहने की बात कही जा रही है। (बिज़नस भास्कर)
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