04 दिसंबर 2009
चीनी उत्पादन 160 लाख टन से भी कम रहने की संभावना
देश में चीनी का उत्पादन सीजन वर्ष 2009-10 के दौरान पिछले अनुमान 160 लाख टन से भी कम रहने की संभावना है। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (आईएसएमए) के अध्यक्ष समीर सोमैया ने बुधवार को कहा कि चीनी उत्पादन 160 लाख टन से भी कुछ कम रह सकता है। हालांकि उन्होंने कहा कि यह गत सीजन के उत्पादन 150 लाख टन से ज्यादा ही रहेगा। इस वर्ष चीनी उत्पादन का आंकड़ा भले ही गत वर्ष के मुकाबले ज्यादा रहेगा लेकिन देश की वार्षिक खपत करीब 230 लाख टन को देखते हुए यह काफी कम होगा। केंद्र सरकार ने चीनी की बढ़ती कीमतों और घरेलू मांग को देखते हुए हाल ही में रॉ शुगर और रिफाइंड शुगर दोनों के ड्यूटी फ्री आयात की समय सीमा बढ़ाकर चालू वित्त वर्ष के आखिर तक कर दी थी। चीनी का घरेलू उत्पादन घटने की आशंका से चीनी के दाम बढ़कर गत वर्ष के मुकाबले करीब दोगुने हो चुके हैं। सोमैया ने कहा कि महाराष्ट्र, कर्नाटक और यूपी में चीनी उत्पादन कम रहने का अनुमान है। एक दिन पहले ही खाद्य एवं कृषि मंत्री ने संसद में कहा था कि इस वर्ष चीनी का उत्पादन 160 लाख टन रहने का अनुमान है। गन्ने के कीमतों को लेकर जारी गतिरोध के कारण भी चीनी मिलों में पेराई में देरी हो रही है। किसान चीनी मिलों का घेराव करेंगे मेरठ। उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए गन्ने की ऊंची कीमत की मांग करते हुए राष्ट्रीय लोक दल के अध्यक्ष अजित सिंह ने कहा है कि जब तक गन्ने की उचित कीमत नहीं मिल जाती, किसान चीनी मिलों का घेराव करेंगे और गन्ने की सप्लाई नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा कि पार्टी कार्यकर्ता हर मिल का घेराव करेंगे और जब तक अपेक्षित कीमत की घोषणा नहीं हो जाती, वे नहीं हटेंगे। दूसरी ओर भारतीय किसान यूनियन ने शुगर मिल मालिकों से अपील की है कि वे गन्ना उत्पादकों को उनकी फसल का उचित दाम दें। उसने कहा है कि उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा और महाराष्ट्र जैसे राज्य गन्ने का यूपी के मुकाबले काफी ज्यादा दाम दे रहे हैं। उत्तराखंड में मिलें किसानों को गन्ने का 220 रुपये प्रति क्विंटल भाव दे रही हैं। (प्रेट्र)
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