04 दिसंबर 2009
दिल्ली मे तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कृषि उपकरण प्रदर्शनी शुरू
देश में कृषि उपकरणों और यंत्रों का उपयोग करके किसान अपनी पैदावार और आमदनी बढ़ा सकते हैं। अनुमान है कि इस तरह किसानों की आमदनी 40 फीसदी तक तक बढ़ सकती है। कृषि मंत्रालय, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, उनाकोमा सर्विस और फिक्की द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित अंतरराष्ट्रीय कृषि उपकरण प्रदर्शनी के पहले दिन कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने यह संभावना व्यक्त की। दिल्ली में आयोजित यह प्रदर्शनी तीन दिन तक चलेगी। विशेषज्ञों के अनुसार कृषि उपकरणों का बाजार देश में काफी बढ़ा है लेकिन सही जानकारी के अभाव में किसान सही उपकरण चुन नहीं पाते हैं। गोष्ठी का उदघाटन करते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने कृषि उपकरणों के उपयोग पर जोर देते हुए कहा कि इससे पैदावार बढ़ने के साथ किसान आमदनी भी बढ़ेगी। उनका कहना है कि किसानों को अच्छे कृषि यंत्र उपलब्ध कराने में केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को मिलकर काम करना होगा। इस मौके पर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के कृषि विभाग के महाप्रबंधक निरंजन पार्शा ने कहा कि आधुनिक कृषि उपकरणों के उपयोग से 12 से 35 फीसदी उत्पादन बढ़ाया जा सकता है। उनका कहना है कि कृषि वैज्ञानिकों द्वारा किए गए अध्ययन में यह पता चला है कि इन उपकरणों के प्रयोग से बीज की मात्रा में 20 फीसदी बचत की जा सकती है। इसके अलावा खाद की मात्रा में भी 15 से 20 फीसदी तक बचत की गुंजाइश रहती है। पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तरप्रदेश आदि क्षेत्रों में ट्रेक्टर की संख्या तो बढ़ी है, लेकिन सही मायनों में कृषि उपकरणों का उपयोग अभी सीमित है। उन्होंने बताया कि एसबीआई द्वारा कृषि ऋण का कुल 15 फीसदी कर्ज कृषि उपकरणों की खरीद के लिए दिया जाता है जो करीब 8,000 से 9,000 करोड़ रुपये है। मेनैज के निदेशक डॉ। एम. एन. रेड्डी ने बताया कि कृषि का मशीनीकरण होने से किसानों को काफी आर्थिक लाभ होगा।इससे कृषि में हो रही श्रमिकों की कमी से निपटने में भी मदद मिलेगी। कृषि उपकरणों की प्रदर्शनी में विदेशों से जॉन डियर, मलरे और महिंद्रा ट्रेक्टर, शक्तिमान टिलर आदि से लेकर एस्कार्ट, इफ्को जैसी कंपनियों ने अपने उपकरण व उत्पादन पेश किए हैं। प्रदर्शनी में ड्रिप सिंचाई से लेकर, जल संरक्षण संबंधी प्रौद्योगिकी को दर्शाया गया है।गन्ना कटाई के लिए जॉन डियर का नया हार्वेस्टरनई दिल्ली। गन्ना और कॉटन किसानों के लिए कृषि उपकरण कंपनी जॉन डियर ने भारत में शुगर केन हार्वेस्टर और ट्रैक्टर चालित कॉटन पिकर मशीन भारत में लांच की है। कंपनी के सीनियर जरनल मैनेजर डॉ. रवि गुट्टल ने पत्रकारों को बताया कि 337 और 375 एचपी के शुगरकेन हार्वेस्टर की खासियत है कि यह ऊंचे से ऊंचे गन्ने की फसल को काट सकता है। इसकी क्षमता 60 टन गन्ना हार्वेस्टिंग प्रति घंटे की है। जबकि कॉटन पिकर से रुई के गोले पौधों से आसानी से उठाए जा सकते हैं। भारत में मजदूरों की कमी और इस पर खर्च बढ़ने की समस्या को ध्यान में रखते हुए कंपनी ने शुगर केन हार्वेस्टर और ट्रेक्टर आपरेटेड कॉटन पिकर को लांच किया है। उन्होंने बताया कि शुगर केन हार्वेस्टर में शुगर कंपनियों ने अच्छी दिलचस्पी दिखाई है। इसके अलावा छोटे गन्ना किसानों को ध्यान में रखते हुए कंपनी ट्रेक्टर ऑपरेटेड शुगर केन हार्वेस्टर भी बना रही है। इसमें 80 से 90 हॉर्स पॉवर इंजन का ट्रेक्टर होगा। इसकी प्रति घंटा कार्य क्षमता 12 से 15 टन गन्ना हार्वेस्टिंग की होगी। (ब्यूरो)कंपनी के डायरेक्टर सेल्स एंड मार्किटिंग रवि मेनन ने बताया कि वर्ष 2008-09 (नवंबर से अक्टूबर) में कंपनी ने देश में 25,000 ट्रैक्टरों की बिक्री की है। मेनन ने कहा कि आर्थिक सुस्ती के असर से 2008-09 में ट्रैक्टरों का निर्यात 14,000 से घटकर 10,500 का रह गया। कंपनी के पुणो स्थित प्लांट की सालाना क्षमता 45,000 ट्रैक्टरों की है जबकि पिछले साल 35,000 ट्रैक्टरों का निर्माण किया गया। कंपनी पुणो प्लांट की उत्पादन क्षमता बढ़ाएगी, ताकि घरेलू मांग को पूरा किया जा सके। कंपनी की 50 हॉर्स पॉवर के ट्रैक्टरों की बिक्री में 2008-09 में 40 फीसदी की हिस्सेदारी रही है। कंपनी ने 50 हॉर्स पॉवर के पिछले साल 7,000 ट्रैक्टर बेचे। (ब्यूरो) (बिज़नस भास्कर)
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