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04 दिसंबर 2009

गन्ना कटे तो खेतों में हल चले

नई दिल्ली December 03, 2009
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इस साल गन्ने की पैदावार पिछले साल के मुकाबले 30 फीसदी अधिक बताई जा रही है।
किसानों के मुताबिक इस साल एक एकड़ खेत से 175-200 क्विंटल गन्ने की पैदावार हो रही है। इन दिनों पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गन्ने की कटाई जोरों पर है। किसान जल्द से जल्द गन्ने की कटाई कर गेहूं की बुआई करना चाहते हैं।
हालांकि गन्ना किसान अब भी गन्ने के भुगतान मूल्य 205-210 रुपये प्रति क्विंटल से संतुष्ट नहीं हैं। उनका कहना है कि पड़ोसी राज्य उत्तराखंड में चीनी मिलें गन्ने की कीमत 220 रुपये प्रति क्विंटल तक दे रही हैं। गन्ना किसानों ने बताया कि पिछले साल गन्ने की पैदावार प्रति एकड़ 140-150 क्विंटल थी। इस साल प्रति एकड़ 35-50 क्विंटल अधिक उत्पादकता है।
मोदीनगर के गन्ना किसान हरेंद्र नेहरा कहते हैं, इस प्रकार की पैदावार वर्ष 2003-04 के दौरान हुई थी। इस साल गन्ने के रकबे में 10 फीसदी से अधिक की कमी के कारण गन्ने के उत्पादन में कमी की आशंका थी। लेकिन पैदावार बढ़ने से पिछले साल के मुकाबले उत्पादन पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
पिछले साल के मुकाबले कीमत में प्रति क्विंटल 60 रुपये तक की बढ़ोतरी से किसान इन दिनों पूरे जोश के साथ मिलों में गन्ने की आपूर्ति कर रहे हैं। किसान इस बात की भी पूरी उम्मीद कर रहे हैं कि मध्य जनवरी के बाद चीनी मिलें उन्हें 230-240 रुपये प्रति क्विंटल तक की कीमत दे सकते हैं। हालांकि इन दिनों किसानों का पूरा ध्यान गन्ने की कटाई कर उसमें गेहूं बोने की ओर है। और 15 दिसंबर से गेहूं की बुआई शुरू होने की पूरी संभावना है।
किसान कहते हैं कि 15 दिसंबर से 15 जनवरी तक गेहूं की बुआई होगी। देर से बुआई होने से इसके उत्पादन में कमी जरूर आएगी। क्योंकि गेहूं बुआई का सही समय 15 नवंबर से 15 दिसंबर तक का होता है। फिर भी गन्ने की ठीकठाक कीमत मिलने से इन किसानों को गेहूं के उत्पादन में कमी आने का कोई मलाल नहीं है।
वहीं मुरादाबाद जिले के बिलार गांव के किसान चौधरी हरेंद्र सिंह कहते हैं, चीनी की कीमत पूरे हिन्दुस्तान में एक समान है फिर गन्ने के भाव के साथ भेदभाव क्यों किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश गन्ने का सबसे बड़ा उत्पादक प्रदेश है, पर यहां कीमत दूसरे प्रदेशों से कम दी जा रही है।
उन्होंने बताया कि इलाके के गन्ना किसान उत्तराखंड की चीनी मिलों को गन्ने की आपूर्ति करने पर विचार कर रहे हैं। 6 दिसंबर को भारतीय किसान यूनियन की तरफ से इस संबंध में मुरादाबाद में एक बैठक भी बुलाई गई है।
30 फीसदी अधिक रही गन्ने की पैदावारअब गेहूं की बुआई करने की तैयारी जोरों परकिसान भुगतान मूल्य से अब भी नहीं हैं संतुष्टजनवरी में दर बढ़ाने की अब भी कर रहे हैं उम्मीद
उप्र से ज्यादा उत्तराखंड में
लंबे समय के बाद उत्तराखंड ने गुरुवार को गन्ना के लिए अपने राज्य सिफारिशी मूल्य (एसएपी) 192-197 रुपये की घोषणा कर दी है जो देश में सर्वाधिक है। सामान्य और जल्द तैयार हो जाने वाली किस्मों के लिए यह कीमत क्रमश: 192 और 197 रुपये तय की गई है।
गन्ना मंत्री मदन कौशिक ने यहां कहा कि सरकारी क्षेत्र की सभी 6 चीनी मिलें उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में निजी चीनी मिलों की तरह बोनस का भी भुगतान करेंगी। एसएपी की घोषणा निजी क्षेत्र की चार चीनी मिलों द्वारा पिछले सप्ताह 215-225 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गन्ने की खरीद के लिए किसानों के साथ किए गए समझौते के बाद की गई है।
कौशिक ने कहा कि सरकार केंद्र के उस अध्यादेश में बदलाव का इंतजार कर रही थी जिसने राज्य पर अलग एसएपी और 129।82 रुपये के उचित एवं लाभकारी कीमत (एफआरपी) के भुगतान का भार डाल दिया था। (बीएस हिन्दी)

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