मुंबई December 03, 2009
जिंस एक्सचेंजों में नए प्रयोगों को लेकर सुगबुगाहट अब तेज हो गई है। इसकी वजह आईसीईएक्स लॉन्च होने के साथ ही देश में राष्ट्रीय एक्सचेंजों की संख्या बढ़कर 4 हो जाना और लॉन्च होने जा रहे एक्सचेंजों की सूची लंबी होना है।
कोटक समूह और अहमदाबाद कमोडिटी एक्सचेंज के संयुक्त प्रयास से बना राष्ट्रीय एक्सचेंज हालांकि अगले साल अपना परिचालन शुरू करेगा। वहीं केतन सेठ ने वायदा बाजार नियामक, वायदा बाजार आयोग के यहां यूनाइटेड कमोडिटी एक्सचेंज नाम से राष्ट्रीय एक्सचेंज स्थापित करने का आवेदन दिया है। यह मध्य प्रदेश में सोया एक्सचेंज जैसे छोटे एक्सचेंजों के अलावा है।
शुरुआत में ये सभी एक्सचेंज वायदा सौदों को वास्तविक बाजार से जोड़ रहे हैं। उदाहरण के लिए, आईसीईएक्स ने कॉपर अनुबंधों का डिलिवरी विकल्प मुहैया कराने की पेशकश की। यही नहीं, इसने पहले ही सोने के विभिन्न वायदा अनुबंधों की डिलिवरी के लिए एक्सचेंज के मौजूदा केंद्रों के अलावा 5 डिलिवरी केंद्र भी शुरू किए हैं।
आईसीईएक्स इसके अलावा अपने हिस्सेदार एमएमटीसी के डिलिवरी केंद्रों का भी इस्तेमाल कर रहा है। देश ही नहीं बल्कि एशिया में किसानों की सबसे बड़ी कोऑपरेटिव संस्था कृषक भारती की क्षमता का भी इस्तेमाल आईसीईएक्स ले रहा है।
कृषक भारती अपने सदस्यों को किसानों का संगठन करने वाले के रूप में काम करने को प्रोत्साहित करेगा। आईसीईएक्स के सीईओ अजीत मित्तल ने बताया, 'हमारा लक्ष्य वायदा और वास्तविक बाजार के बीच मजबूत संपर्क उपलब्ध कराने का है।'
बाजार में मौजूद अन्य एक्सचेंज भी इस होड़ में शामिल होने की जल्दी में हैं। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज ऑफ इंडिया (एमसीएक्स) ने भी एक्सचेंज फॉर फिजिकल (ईएफपी) कारोबार की शुरुआत की है। इसके तहत, दो कारोबारी वायदा अनुबंधों की वास्तविक डिलिवरी कर सकते हैं। यह एक जिंस के बदले में दूसरी जिंस के रूप में भी हो सकता है।
बढ़ी कारोबार में प्रतिस्पर्धा
देश में 4 राष्ट्रीय एक्सचेंज होने और अन्य एक्सचेंजों के आने के आसार से शुरू हुए नए प्रयोगशुरुआत में सभी एक्सचेंज वायदा सौदों को वास्तविक बाजार से जोड़ रहे हैंअन्य संस्थाओं से सहयोग लेने के लिए हो रहे हैं तमाम समझौते (बीएस हिन्दी)
04 दिसंबर 2009
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें