मुंबई November 30, 2009
विदेशों से सस्ती दर पर आयात किये जा रहे सोयाबीन, सोया रिफाइंड तेल और पाम ऑयल की वजह से इस समय देसी कारोबारियों को घाटे का सौदा करना पड़ा रहा है।
चीन में सोयाबीन की मांग बढ़ने की वजह से पिछले एक महीने में सोयाबीन की कीमतों में 10 फीसदी का इजाफा हुआ। कीमतों में बढ़ोतरी और विदेशों से आ रहे सस्ते माल की वजह से कारोबारियों को मजबूरी में घाटे का सौदा करना पड़ रहा है।
नतीजतन देश में चल रहे सोयाबीन ऑयल प्लांटों में ताला पड़ने लगा है और जिन प्लांटों में काम चल भी रहा है वह अपनी क्षमता का मुश्किल से 30-40 फीसदी ही काम कर रहे हैं। कमोडिटी रिसर्च फर्म शेयरखान कमोडिटी की रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार इस समय सोयाबीन की प्लांट डिलिवरी कीमत 24,000 रुपये प्रति टन है। इसमें 1100 रुपये प्रति टन प्रोसेसिंग शुल्क पड़ जा रहा है।
इस तरह प्रति टन सोयाबीन की कीमत 25,100 रुपये प्रति टन हो जा रही है। रिफाइंड करने के बाद इसकी कुल कीमत निकलकर 22,280.49 रुपये आ पाती है। जो कारोबारियों के लिए घाटे का सौदा हो रहा है। रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में सोयाबीन की लगभग 98 फीसदी फसल तैयार हो गई है।
अमेरिका में सोयाबीन का उत्पादन अक्टूबर महीने तक पिछले साल के 748590 लाख टन से बढ़कर इस साल 884540 लाख टन हुआ है। जबकि भारत में सोयाबीन के उत्पादन में करीबन 3 फीसदी की कमी हो सकती है। शेयरखान के कमोडिटी रिसर्च हेड मेहुल अग्रवाल के अनुसार देश में पैदावार कम होने की वजह से घरेलू बाजार में सोयाबीन और महंगी हो सकती है।
जनवरी तक कीमतों में 10 से 15 फीसदी का इजाफा देखने को मिल सकता है जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें गिरेगी। इस समय घरेलू बाजार में सोयाबीन की कीमतें 2350 रुपये प्रति क्विंटल के आस पास चल रही है जबकि एक महीने पहले ये 2200 रुपये थी।
सॉलवेंट एक्सटैक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष भरत मेहता के अनुसार अमेरिका, ब्राजील और अर्जेटीना का माल भारतीय माल से सस्ता पड़ा रहा है इसलिए लोग उसे खरीदना पसंद कर रहे हैं। भारतीय कारोबारियों को बाजार में उनसे मुकाबला करने के लिए लगभग 40 डॉलर प्रति टन का घाटा उठाना पड़ रहा है यही वजह है कि कारोबारी प्लांट बंद कर रहे हैं।
इस समय वे प्लांट चल रहे हैं जिन्होने पहले से ऑर्डर लेकर रखा है। दूसरी बात कारोबारी घाटा होने के बाद भी बाजार में बने रहने और अपनी साख बचाने के लिए प्लांट चालू रखे हैं। जिन प्लांटों में काम चल भी रहा है वह मुश्किल से पिछले साल के मुकाबले 30 फीसदी काम हो रहा है। यानी मजबूरी का सौदा किया जा रहा है।
मेहता के अनुसार अगर यही स्थिति रही तो देश के अंतर यह कारोबार इस साल के अंत तक ठप पड़ सकता है। क्योंकि घाटे का सौदा कोई भी कारोबारी ज्यादा दिन तक नहीं कर सकता है। देश में लगभग 700 सोयाबीन रिफाइंड प्लांट है जिनमें से इस समय लगभग 40 फीसदी में काम बंद हो चुका है और साल के अंत तक चालू प्लांटों में से 30 फीसदी और बंद हो सकते हैं।
कारोबारियों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में माल सस्ता होने से कारोबारी रिफाइंड करने का काम बंद कर देगे और सीधा रिफाइंड माल लाकर ही बेचेगे। वैश्विक स्तर पर पैदावार ज्यादा होने के साथ ही मांग भी बढ़ी है सबसे ज्यादा मांग चीन में है। जबकि दूसरी ओर देश में कीमतें आसमान पर है और पैदावार भी कम हुई है जिसको देखते हुए कहा जा सकता है कि अभी कीमतों में और बढ़ोतरी होने वाली है।
सस्ते आयात से पिटा कारोबार
सोयाबीन, सोया रिफाइंड तेल और पाम ऑयल के सस्ते आयात की वजह से देसी कारोबारियों को घाटाचीन में मांग बढ़ने से पिछले 1 माह में 10 फीसदी बढ़े सोयाबीन के दामक्षमता का 30-40 फीसदी ही काम कर रहे हैं संयंत्र (बीएस हिन्दी)
01 दिसंबर 2009
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