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01 दिसंबर 2009

चौंकाने वाली रही कृषि क्षेत्र की विकास दर

नई दिल्ली November 30, 2009
मंदी और सूखे जैसी आपदा को देखते हुए तमाम विश्लेषकों का मानना था कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद में कृषि क्षेत्र की विकास दर नकारात्मक रहेगी।
लेकिन उम्मीदों से परे कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 0.9 फीसदी रही। वहीं खनन और निर्माण क्षेत्र के अच्छे प्रदर्शन की बदौलत दूसरी तिमाही में जीडीपी 7.9 फीसदी रही। सिटी ग्र्रुप की अर्थशास्त्री रोहिणी मलकानी और अनुष्का शाह ने रिपोर्ट में बताया कि उद्योग और सेवा क्षेत्र की विकास दर की उम्मीद के अनुरूप रही, लेकिन कृषि क्षेत्र की विकास दर 0.9 फीसदी रहना जरूर चकित करता है।
उन्होंने बताया कि गर्मियों में फसलों के उत्पादन में करीब 17.9 फीसदी की गिरावट आई, जिसका असर दूसरी तिमाही के आंकड़ों पर पड़ा। खनन क्षेत्र दूसरी तिमाही में 9.5 फीसदी की दर से बढ़ा, जो पिछले साल की समान अवधि में 3.7 फीसदी थी। रिलायंस इंडस्ट्रीज की ओर से प्राकृतिक गैस के उत्पादन बढ़ने से इस क्षेत्र को काफी मदद मिली।
विनिर्माण क्षेत्र की विकास दर 9.2 फीसदी बढ़ी, जो पिछले साल की समान तिमाही में 5.1 फीसदी थी। इसके पीछे सरकार की ओर से खर्च बढ़ाना रहा। एमओएसपीआई के सचिव और भारत के मुख्य सांख्यिकीविद् प्रणव सेन ने बताया कि खनन क्षेत्र में विकास दर में इजाफा केजी बेसिन से गैस के उत्पादन होने की वजह से आई है। पिछले साल इस क्षेत्र से गैस का उत्पादन नहीं हुआ था।
वहीं विनिर्माण क्षेत्र में सरकार की ओर से निवेश बढ़ाने और अर्थव्यवस्था के पटरी पर आने से वृद्धि हुई है। दूसररी तिमाही में आईआईपी की विकास दर 9.2 फीसदी रही। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के प्रमुख अर्थशास्त्री डीके जोशी ने बताया कि विनिर्माण क्षेत्र की विकास दर मुख्य रूप से कंज्यूमर डयूरेबल्स और वाहन क्षेत्रों में आई तेजी की वजह से रही।
सामुदायिक, सामाजिक और व्यक्तिगत सेवा क्षेत्र 12.7 फीसदी की दर से बढ़ा, वहीं वित्तीय, रियल एस्टेट और कारोबार सेवा की विकास दर 7.7 फीसदी दर्ज की गई। पिछले वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में इन क्षेत्रों की विकास दर क्रमश: 9 फीसदी और 6.4 फीसदी थी।
इसी तरह ट्रेड, होटल, परिवहन और कम्युनिकेशन क्षेत्र की विकास दर 8।5 फीसदी दर्ज की गई, जो पिछले साल की समान अवधि में 12.2 फीसदी थी। यानी इस क्षेत्र की विकास दर पिछले साल की तुलना में कम रही। कंस्ट्रक्शन और बिजली क्षेत्र की विकास दर क्रमश: 6.5 फीसदी और 7.4 फीसदी रही। (बीएस हिन्दी)

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