कुल पेज दृश्य

05 दिसंबर 2009

भाव ऊंचे रहने से कपास की सरकारी खरीद 86त्न घटी

सरकारी कंपनी कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया की खरीद चालू सीजन के पहले दो महीनों अक्टूबर और नवंबर में करीब 86 फीसदी कम रही। इस दौरान कंपनी ने 275,000 गांठ (प्रति गांठ 170 किलो) कपास की खरीद की है जो गत वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 86फीसदी कम है।सीसीआई के एक अधिकारी ने शुक्रवार को बताया कि गत वर्ष अक्टूबर-नवंबर के दौरान कंपनी ने 20 लाख गांठ कपास की खरीद की थी। कॉटन वर्ष 2008-09 में कुल खरीद 89 लाख गांठ कपास की रही थी। अधिकारी ने कहा कि इस बार खरीद काफी कम इसलिए रही क्योंकि खुले बाजार में कॉटन के भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से काफी ज्यादा हैं। यही वजह है कि इस बार एमएसपी पर कपास बेचने में किसानों ने दिलचस्पी नहीं दिखाई। खुले बाजार में भाव एमएसपी से ज्यादा हैं इसीलिए किसान निजी कारोबारियों को अपनी उपज बेचना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। ज्यादा बिकने वाली शंकर वैरायटी वाली कॉटन के भाव इस समय 26,400 रुपये प्रति कैंडी (प्रति कैंडी 356 किलो) चल रहे हैं जबकि 30 सितंबर को भाव 22,400 रुपये प्रति कैंडी थे। इंटरनेशनल कॉटन एडवायजरी कमेटी ने इस सप्ताह के शुरू में कहा था कि वर्ष 2009-10 में कॉटन का वैश्विक उत्पादन पांच फीसदी घटकर 222 लाख टन रहने की संभावना है। चीन में उत्पादन 16 फीसदी तक घटना इसका प्रमुख कारण हो सकता है। सीसीआई ने खरीदी गई कॉटन में से 1,50,000 गांठों की बिक्री 30 नवंबर तक की है। हालांकि अधिकारी ने बिक्री का मूल्य बताने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि 28 नवंबर को समाप्त सप्ताह में घरेलू कपड़ा मिलों की अच्छी मांग रही थी। इसके अलावा निर्यात मांग भी अच्छी रही। टैक्सटाइल कमिश्नर के कार्यालय की रिपोर्ट के मुताबिक अक्टूबर-नवंबर के दौरान देश से रॉ कॉटन का निर्यात 19त्न बढ़कर 4,28,076 गांठ रहा। (बिज़नस भास्कर)

कोई टिप्पणी नहीं: