04 दिसंबर 2009
ऊंचे भाव पर मांग गिरने से जौ 7 फीसदी सस्ता
कमजोर मांग के चलते एक माह के दौरान वायदा तथा हाजिर में जौ सात फीसदी तक गिर गया। हालांकि इस साल रकबा घटने की आशंका से अगले पखवाड़े के दौरान जौ में फिर मजबूती आने की संभावना व्यक्त की जा रही है। लेकिन बुवाई की तस्वीर साफ होने तक लिवाल खरीद से बच रहे हैं। राजस्थान के थोक व्यापारियों का कहना है कि गेहूं, बाजरा व मक्का में तेजी के चलते महीने भर पहले जौ एक हजार रुपये क्विंटल के पार हो गया था। इसके बाद ऊंचे भावों पर कैटल फीड तथा ब्रेवरीज उद्योग की मांग घटने से जौ में गिरावट का रुख बना। स्टॉक बेहतर होने के कारण स्टॉकिस्टों की ओर से बिकवाली बढ़ाने से भी जौ के भावों पर दबाव आया है। हालांकि राजस्थान में पानी की कमी के कारण इस साल किसानों का रुझान सरसांे व चना में ज्यादा है। हरियाणा व पंजाब में भी जौ का रकबा घटने की आशंका व्यक्त की जा रही है। इसके बावजूद बुवाई की तस्वीर साफ होने तक खरीदार नए सौदे करने से बच रहे हैं। इस वजह से लिवाली कमजोर होने से महीने भर में हाजिर में जौ पांच फीसदी तथा वायदा में साढ़े सात फीसदी तक सस्ता हो गया। गुरुवार को राजस्थान की मंडियों में लूज में जौ के भाव 760 से 900 रुपये क्विंटल के बीच दर्ज किए गए हैं। एनसीडीईएक्स में भी दिसबंर वायदा जौ महीने भर के दौरान साढ़े सात फीसदी से ज्यादा घटकर आज 986 रुपये क्विंटल पर बंद हुआ। जयपुर के थोक व्यापारी चंद्रभान का कहना है कि मक्का, ज्वार और बाजरा के मुकाबले जौ सस्ता होने के बावजूद महीने भर के दौरान जौ की मांग में कमी आई है। महीने भर पहले कैटल फीड के लिए जौ की अच्छी मांग निकल रही थी लेकिन अब इसमें भी कमी दर्ज की जा रही है। ब्रेवरीज उद्योग से भी मांग कम निकल रही है। इस वजह से दिसंबर के दूसर पखवाड़े में भावों में सुधार होने की संभावना के बावजूद महीने भर में जौ के भाव नीचे आए हैं। जयपुर के एक अन्य व्यापारी के. जी. झालानी का कहना है कि अब भी नए साल में जौ के 1100 रुपये क्विंटल तक पहुंचने की संभावना बरकरार है। लेकिन बुवाई की तस्वीर साफ होने तक जौ की लिवाली बढ़ने के आसार कम हैं। (बिज़नस भास्कर)
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