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03 दिसंबर 2009

निर्यातकों व स्टॉकिस्टों की मांग से जीरा में 18 फीसदी का उछाल

निर्यातकों के साथ घरेलू मांग मजबूत रहने से पिछले बीस दिनों में जीरे की कीमतों में 18 फीसदी की तेजी आ चुकी है। वायदा बाजार में चालू महीने में इसके दाम 26।5 फीसदी बढ़े हैं। उत्पादक मंडियों में जीरे के भाव बढ़कर 2600-2650 रुपये प्रति 20 किलो हो गए। अक्टूबर महीने में भारत से जीरे का निर्यात 5500 टन रहा। अन्य प्रमुख उत्पादक देशों टर्की और सीरिया के पास जीरे का बकाया स्टॉक कम बचा है। इसलिए आगामी दिनों में भारत से निर्यात मांग बराबर रहने की संभावना है। मुंबई स्थित मैसर्स जेब्स प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर भास्कर शाह ने बिजनेस भास्कर को बताया कि खाड़ी के साथ ही यूरोप के आयातकों की अच्छी मांग बनी हुई है। ब्याह-शादियों का सीजन होने के कारण घरेलू मांग भी बराबर आ रही है। जिससे जीरे की तेजी को बल मिल रहा है। पिछले बीस दिनों में उत्पादक मंडियों में जीरे की कीमतों में करीब 450 रुपये की तेजी आकर भाव 2600-2650 रुपये प्रति 20 किलो हो गए। अंतरराष्ट्रीय बाजार में टर्की के जीरे के भाव बढ़कर 3,450 डॉलर और सीरिया के 3300 डॉलर प्रति टन (एफओबी) हो गए हैं। चालू महीने में इसमें करीब 500 डॉलर की तेजी आ चुकी है। इस दौरान भारतीय जीरे के भाव 2450 डॉलर से बढ़कर 2,850-3000 डॉलर प्रति टन हो गये हैं। टर्की के पास इस समय दो-ढ़ाई और सीरिया के पास चार-पांच हजार टन का ही स्टॉक बचा है। भारत के पास इस समय करीब आठ लाख बोरी (प्रति बोरी 55 किलो) का स्टॉक बचा हुआ है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 12-13 लाख बोरी के मुकाबले कम है। इसीलिए आगामी दिनों में भारत से निर्यातकों की मांग बराबर रहने की उम्मीद है। भारतीय मसाला बोर्ड के सूत्रों के अनुसार अक्टूबर महीने में जीरे का निर्यात बढ़कर 5,500 टन का हुआ है जबकि पिछले साल अक्टूबर में इसका निर्यात 5,475 टन का हुआ था। जीरा निर्यातक रजनीकांत बी. पोपट ने बताया कि अन्य देशों के मुकाबले भारतीय जीरे के भाव काफी नीचे चल रहे हैं। ऐसे में आगामी दिनों में भारत से जीरे की निर्यात मांग में और भी इजाफा होने की उम्मीद है।मैसर्स हनुमान प्रसाद पीयूष कुमार के प्रोपराइटर वीरेंद्र अग्रवाल ने बताया कि गुजरात में सौराष्ट्र के प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों जूनागढ़, जामनगर, राजकोट, भावनगर, अमरेली, और सुरेंद्रनगर तथा उत्तरी गुजरात के बनासकांटा, मेहसाणा और पाटन में 80 फीसदी क्षेत्रफल में बुवाई हो चुकी है। उधर राजस्थान के जालौर, जोधपुर, बाड़मेर, नागौर, जैसलमेर, पाली, सिरोही, सीकर और बीकानेर में बुवाई का कार्य जोरों पर है। भाव में तेजी को देखते हुए चालू सीजन में जीरे की बुवाई पिछले साल से बढ़ने की संभावना है। पिछले साल देश में जीरे का कुल उत्पादन 25 लाख बोरी का हुआ था। दिसंबर और जनवरी का मौसम नई फसल के लिए अहम होगा क्योंकि फरवरी महीने में नई फसल आएगी। एनसीडीईएक्स पर दिसंबर महीने के वायदा अनुबंध में चालू महीने में 26.5 फीसदी की तेजी आकर मंगलवार को भाव 16,382 रुपये प्रति क्विंटल हो गये। दो नवंबर को इसके भाव 13,011 रुपये प्रति क्विंटल थे। (बिज़नस भास्कर....आर अस राणा)

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