नई दिल्ली- सोयाबीन उत्पादक क्षेत्रों में पिछले कुछ दिनों में जारी अच्छी बारिश ने खाद्य तेलों की कीमतों में गिरावट पैदा की है। अच्छी बारिश से तिलहनों के उत्पादन में बढ़ोतरी की उम्मीद ने खाद्य तेल की कीमतों में पिछले एक पखवाड़े में ही करीब 10 फीसदी की कमी पैदा की है। खरीफ सीजन में फसलों की बुआई के बारे में कृषि मंत्रालय से जारी हालिया आंकड़ों के मुताबिक देश भर में सोयाबीन की बुआई का रकबा 94।96 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया है। सोयाबीन, सूरजमुखी, बिनौला, मूंगफली समेत दूसरे तिलहनों का बुआई रकबा 162.80 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया है। इसके अलावा पिछले कुछ दिनों में मध्य प्रदेश समेत तिलहन उत्पादन वाले प्रमुख इलाकों में अच्छी बारिश भी दर्ज की गई है। इसके चलते सोयाबीन के बेहतर उत्पादन की उम्मीद पैदा हुई है।
खाद्य तेलों के भारी आयात और तिलहनों का बेहतर उत्पादन रहने की उम्मीद की वजह से घरेलू बाजार में तेलों की कीमतों में गिरावट आई है। फेडरेशन ऑफ ट्रेडर्स ऑफ दिल्ली के सचिव हेमंत गुप्ता के मुताबिक, 'खाद्य तेलों में गिरावट आने की प्रमुख वजह अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों का निचले स्तर पर बना होना है। साथ ही सोयाबीन, बिनौला और मूंगफली की फसलें अगले 15 से 20 दिनों में बाजार में आने वाली हैं इससे भी कीमतों में गिरावट आई है।' एक पखवाड़े पहले इंदौर में सोयाबीन तेल की कीमत 495 रुपए प्रति 10 किलो थी जो कि अब घटकर 430 रुपए प्रति 10 किलो पर आ गई है। इसी तरह से पामोलीन सीपीओ कांडला की कीमत पहले के 365 रुपए प्रति 10 किलो से घटकर 330 रुपए पर आ गई है। सरसों का तेल भी इस दौरान गिरा है। सरसों दादरी की कीमत पहले के 540 रुपए प्रति 10 किलो से घटकर 505 रुपए हो गई है। साथ ही बिनौला हरियाणा भी 450 रुपए के स्तर से गिरकर 410 रुपए पर आ गया है। कारोबारियों का कहना है कि श्राद्ध पक्ष में खरीदारी न किए जाने का रिवाज होने से खाद्य तेलों की मांग इस वक्त हल्की चल रही है। राजधानी वेजिटेबल ऑयल्स सप्लायर्स के सत्यनारायण अग्रवाल के मुताबिक, 'इस वक्त मांग भी कुछ हल्की है। तेलों की कीमतों में गिरावट की बड़ी वजह इंदौर, महाराष्ट्र वगैरह में अच्छी बारिश से तिलहनों की यील्ड में सुधार आने की उम्मीद है। इस वजह से बाजार में सप्लाई में तेजी आई है।' (इत हिन्दी)
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