कुल पेज दृश्य

11 सितंबर 2009

घट सकता है इलायची उत्पादन

कोच्चि 09 10, 2009
केरल के इडुक्की जिले में इस साल इलायची की फसल बुरी तरह प्रभावित हो सकती है।
जानकारों का मानना है कि मॉनसून में देरी का इस फसल पर व्यापक असर पड़ा है। इलायची की खेती के लिए मॉनसून की फुहार जरूरी होती है। जून में मॉनसूनी बारिश से ही इलायची का पौध रोपण काम शुरू होता है, लेकिन इस साल बारिश की कमी की वजह से पौध रोपण पर बुरा प्रभाव पड़ा है।
इडुक्की के किसानों का कहना है कि इस साल बारिश की कमी के चलते फसल की बुआई पर बुरा प्रभाव पड़ा है। उनके शुरुआती अनुमानों के मुताबिक उत्पादन में 15-20 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है। पौधों पर सबसे ज्यादा प्रभाव जून महीने में पड़ा, जब बारिश की कमी की वजह से फसल खराब हो गई।
जून महीने में तो 50 प्रतिशत तक की गिरावट के अनुमान थे, लेकिन जुलाई के मध्य में हुई बारिश की वजह से स्थिति में सुधार आई। इसके चलते फसलों का नुकसान कम हो गया, और अब 15-20 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान लगाया जा रहा है।
पिछले साल देश में इलायची का कुल उत्पादन 10,000 टन था, जिसमें ज्यादा हिस्सेदारी इडुक्की जिले की थी। उत्पादकों का कहना है कि अगस्त के दूसरे पखवाड़े में जोरदार बारिश का बुरा प्रभाव भी पड़ा है और कुछ इलाकों में नई कोपलें नष्ट हो गईं। इलायची ऐसी फसल है, जिसमें मौसम की अनुकूलता उत्पादन में अहम भूमिका अदा करती है।
कुछ इलाकों में इलायची की फसल तैयार हो गई है, इसके बावजूद नीलामी केंद्रों पर इलायची की आवक कम है। मॉनसून के अलावा मजदूरों की कमी का भी बहुत गंभीर असर पड़ा है। इलायची की खेती में श्रमिकों की भूमिका अहम होती है, क्योंकि इसकी लगातार देखभाल जरूरी है।
जिले के कुछ इलाकों में तो मजदूरों की कमी के चलते फसलों की देखभाल सही तरीके से नहीं हुई और फसल बर्बाद हो गई। पिछले कुछ साल से इलायची का क्षेत्रफल स्थिर हो गया है, क्योंकि इलाके में मजदूरों की बहुत कमी है। मजदूरों की कमी की वजह से फसल की गुणवत्ता भी प्रभावित हुई है।
उत्पादन में अनुमानित गिरावट किसानों में थोड़ी उम्मीद जगा रही है, साथ ही त्योहारों के मौसम में कीमतें बढ़ने की भी उम्मीद है, खासकर दीवाली के दौरान। कारोबारियों ने कहा कि स्थानीय मांग बहुत बेहतर है, क्योंकि उत्तर भारत के कारोबारियों ने दीपावली के लिए खरीदारी शुरू कर दी है।
इलायची की औसत कीमत बढ़तक 650-700 रुपये प्रति किलो हो गई है। इस सप्ताह, पिछले सप्ताह की तुलना में कीमतों में 40 रुपये प्रति किलो की बढ़ोतरी हुई है। पिछले साल इलायची की औसत कीमत बढ़कर 600 रुपये प्रति किलो हो गई थी। ग्वाटेमाला जैसे देशों की तुलना में भारत में इलायची की कीमतें ज्यादा होने की वजह से विदेश से मांग बहुत उत्साहजनक नहीं है। (बीएस हिन्दी)

कोई टिप्पणी नहीं: