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11 सितंबर 2009

सितंबर की बारिश ने थामा खरीफ का हाथ

नई दिल्ली 09 10, 2009
सितंबर में ही सही लेकिन बारिश में तेजी आने से खरीफ फसलों के उत्पादन में किसी बड़ी गिरावट की आशंका बहुत हद तक कम हो गई है।
अमूमन इस महीने में बारिश की रफ्तार कम होती है और मानसून से बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं की जाती है। इतना ही नहीं, सितंबर में हो रही अच्छी बारिश से रबी फसलों के भी समय पर बुआई होने की संभावना बढ़ गई है, जिससे खरीफ फ सल के उत्पादन में आने वाली कमी की भरपाई कुछ हद किए जाने में मदद मिल सकती है।
मौजूदा अनुमानों के अनुसार धान और मूंगफली को छोड़कर बाकी सभी खरीफ फसलों का उत्पादन सामान्य स्तर के करीब हो सकता है। इस बात की संभावना बन रही है कि कपास और कुछ दालों जैसे अरहर का उत्पादन पिछले साल के उत्पादन के स्तर को पार कर सकता है। हालांकि, चावल और मूंगफली का उत्पादन कम हो सकता है।
भारतीय मौसम विभाग के ताजा अनुमानों के अनुसार 2 सितंबर को जहां बारिश में कमी 23 फीसदी आंकी गई थी वहीं 7 सितंबर को बारिश की स्थिति सुधरी, और इसमें 20 फीसदी कमी दर्ज की गई। अच्छी बात यह है कि भारतीय मौसम विभाग का अनुमान है कि आने वाले समय में बारिश की स्थिति और सुधर सकती है और वर्ष 2009 में बारिश में कमी 15-18 फीसदी के बीच सिमट कर रह सकती है।
यह अनुमान मौसम विभाग के ही 11 अगस्त के उस अनुमान के करीब होगा जिसमें, विभाग ने इस साल बारिश के समान्य से 13 फीसदी कम रहने का अनुमान लगाया गया था। अगर यह सही साबित होता है तो देश के जलाशयों में पानी भरने के बारे में जताई जा रही आशंका भी कम होगी।
हालांकि, जब तक जल भंडार में संतोषजनक स्तर तक सुधार नहीं होता है, अगले कुछ सप्ताहों के दौरान जल विद्युत उत्पादन और रबी मौसम के फसलों की सिंचाई को लेकर चिंता की स्थिति बरकरार रहेगी। फसलों की बुआई के बारे में कृषि मंत्रालय के समूह वेदर-वाच के ताजा आंकड़ों के अनुसार अगस्त के अंत तक 870 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में खरीफ फ सलों की बुआई हुई थी, जो पिछले साल के मुकाबले मात्र 8 फीसदी कम है।
धान और मूंगफली के रकबे में बारिश की वजह से खासी कमी आई है। धान का रकबा 17.3 फीसदी गिरावट के साथ जहां 63.6 लाख हेक्टेयर रह गया, वहीं मूंगफली के रकबे में 18 फीसदी की कमी आई और यह 10 लाख हेक्टेयर रह गया। हालांकि, इस संबंध में और ज्यादा जानकारी आने के बाद धान के रकबे में बढ़ोतरी हो सकती है, लेकिन मूंगफली के रकबे में कोई खास अंतर आने की संभावना नजर नहीं आ रही है।
उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल में धान की बुआई में कमी आई है। कम बारिश और बेहतर प्रतिफल पाने की चाह की वजह से कुछ धान उत्पादक क्षेत्रों में दलहन और कपास की बुआई की गई है। दूसरी तरफ आंध्र प्रदेश और गुजरात में पर्याप्त वर्षा नहीं होने से मूंगफली के रकबे में कमी आई है। (बीएस हिन्दी)

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